सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष से कैसे कर रही हैं पृथ्वी पर बात, क्या स्पेस में फोन कॉल हो सकती है?
अंतरिक्षयात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर स्पेस में फंसे हुए हैं. इस बीच सुनीता विलियम्स ने अपनी बात बातचीत की है. क्या आप जानते हैं कि स्पेस से धरती तक किन उपकरणों के जरिए बात हो सकती है.
अंतरिक्षयात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर अभी भी स्पेस में फंसे हुए हैं. स्पेस एजेंसी नासा के मुताबिक अब इनकी वापसी अगले साल तक ही संभव है. सुनीता विलियम्स ने अपनी मां से भी बातचीत करके सारी स्थिति उनको अपनी बताई है. अब सवाल ये है कि जब स्पेस में फोन और इंटरनेट नहीं है, तो सुनीता विलियम्स ने अपनी मां से कैसे बातचीत किया है. आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे.
स्पेस
स्पेस की दुनिया रहस्यों से भरी हुई है. अंतरिक्षयात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर स्पेस में फंसे हुए हैं, वहीं अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने बताया कि अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी इस साल संभव नहीं है. लेकिन इस बीच खबर आई है कि अंतरिक्ष में फंसी भारतीय मूल की नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने अपनी मां से संपर्क किया है. सुनीता ने अपनी मां को वहां की तकनीकी गड़बड़ियों के बारे में भी बताया है. उन्होंने कहा कि कुछ तकनीकी कारणों की वजह से देरी हो रही है. सुनीता ने अपनी मां को पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी होने का भरोसा दिलाया है. विलियम्स ने अपनी मां बोनी पांड्या से कहा कि वे चिंता न करें और वह सुरक्षित वापस आ जाएंगी.
सुनीता की मां ने क्या कहा?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुनीता की मां बोनी पांड्या ने बताया कि सुनीता ने मुझसे कहा कि मैं उसके बारे में चिंता न करूं, सब कुछ ठीक हो जाएगा. जब उनसे बेटी के अंतरिक्ष में रहने की अवधि के बारे में पूछा गया तो बोनी ने कहा कि मैं 20 साल से अंतरिक्ष यात्री की मां हूं और यह उसकी तीसरी उड़ान है. भले ही कुछ मुद्दे हों, लेकिन हमें नहीं लगता कि कोई बड़ी समस्या है. नासा के अधिकारी बस यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि वे वापस आते समय सुरक्षित रहें. इसलिए उन्होंने उन्हें वहां कुछ और समय तक रखने का फैसला किया है.
अंतरिक्ष में कैसे होती है बात
अब सवाल ये है कि अंतरिक्ष में टॉवर नहीं है, ना ही वहां पर कोई केबल है फिर अंतरिक्ष यात्री कैसे बात करते हैं. बता दें कि स्पेस कम्युनिकेशन ऐंड नैविगेशन के माध्यम से धरती और स्पेस के बीच संचार होता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक अंतरिक्ष में कम्युनिकेशन करना आसान नहीं है, लेकिन तब भी स्पेस एजेंसी नासा ने इसमें काफी काम किया है और अब ये संभव है. बता दें कि चांद पर उपस्थित रोवर हो, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन हो या आर्टेमिस मिशन, इनसे संपर्क करने के लिए नासा का स्पेस कम्युनिकेशन ऐंड नैविगेशन ही काम करता है. डायरेक्ट-टु-अर्थ सैटलाइट से अलग नासा के पास कई रिले सैटेलाइट भी हैं. उदाहरण के लिए, स्पेस स्टेशन से ट्रैकिंग एंड डेटा रिले सैटेलाइट्स (TDRS) की मदद से संपर्क होता है. यह सैटेलाइट न्यू मेक्सिको और गुवाम में स्तिथ ग्राउंड सैटेलाइट को सिग्नल भेजते हैं. इस काम के लिए ये चांद के चारों ओर चक्कर लगाने वाले ऑर्बिटर की भी मदद लेते हैं जो मैसेज को फॉरवर्ड करते हैं. पृथ्वी के ऊपर तीन TDRS ऐसी कक्षाओं में सेट किए गए हैं कि ये पूरी पृथ्वी को कवर करते हैं और इनसे हफ्ते में सातों दिन और दिन के 24 घंटे कम्युनिकेशन किया जा सकता है.
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