किन्नरों को लेकर समाज में कई तरह की भ्रांतियां हैं. अलग-अलग लोग किन्नरों से जुड़ी अलग-अलग बातें बताते हैं. खासतौर से उनके अंतिम संस्कार से जुड़ी बातों में ज्यादातर बातें झूठी हैं. चलिए आज आपको बताते हैं कि अगर कोई किन्नर मुस्लिम समुदाय से है तो उसका अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है. इसके साथ ही आपको ये भी बताएंगे कि क्या सच में किन्नर की मृत्यु होने पर उसके शव को जूते-चप्पलों से पीटा जाता है.


पहले जूते चप्पल वाला सच जानिए


किन्नरों को लेकर भारतीय समाज में एक बात दशकों से घूम रही है कि जब किसी किन्नर की मृत्यु हो जाती है तो उसके साथी और गुरु किन्नर के शव को जूते-चप्पलों से पीटते हैं और फिर उसका अंतिम संस्कार करते हैं. इसके साथ ही ये बात भी कही जाती है कि किन्नरों का अंतिम संस्कार हमेशा रात में किया जाता है, ताकि उसे कोई देख ना सके. आपको बता दें, ये सभी बातें पूरी तरह से झूठी हैं.


न्यूज18 से बात करते हुए महन्त कामिनी कहती हैं कि सदियों से समाज किन्नरों को किसी अभिशाप की तरह देखता है, इसलिए उनसे जुड़ी कई भ्रान्तियां फैलाई गई हैं. उनका कहना है कि ये बात पूरी तरह से झूठी है कि किसी किन्नर के मरने पर उसके शव को जूते चप्पलों से पीटा जाता है. वो कहती हैं कि अगर हमारे किसी साथी की मृत्यु हो जाती है तो हम भी उसी तरह से शोक मनाते हैं जैसे अन्य लोग अपनों के जाने का शोक मनाते हैं.


कैसे होता किन्नरों का अंतिम संस्कार


इसी इंटरव्यू में महन्त कामिनी कहती हैं कि किन्नरों का अंतिम संस्कार भी ठीक वैसे ही होता है जैसे किसी सामान्य इंसान का होता है. वो कहती हैं कि अगर कोई किन्नर मुस्लिम समुदाय से है तो उसका अंतिम संस्कार इस्लामिक तरीके से होता है. यानी उसे दफनाया जाता है. वहीं अगर को किन्नर हिंदू समुदाय से है तो उसका अंतिम संस्कार हिंदू धर्म के अनुसार होता है. यानी उसे जलाया जाता है.


हालांकि, ये बात सच है कि किन्नरों के अंतिम संस्कार में कोई किन्नर शामिल नहीं होता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि दशकों पहले समाज में किन्नरों की स्थिति ठीक नहीं थी. ऐसे में जब किसी किन्नर का अंतिम संस्कार करने के लिए कोई किन्नर कब्रिस्तान या श्मशान जाता था तो उसके साथ गलत बर्ताव किया जाता था. उन्हें भगा दिया जाता था. यही वजह है कि अब किन्नर किसी किन्नर की अंतिम यात्रा में शामिल नहीं होते. अब सवाल उठता है कि अगर किन्नर किसी किन्नर की अंतिम यात्रा में शामिल नहीं होते तो फिर उनका अंतिम संस्कार कौन करवाता है.


कौन करता है किन्नरों का अंतिम संस्कार


किन्नरों के साथ सिर्फ किन्नर ही नहीं रहते. बल्कि, गाने वाले, बजाने वाले और कई ऐसे लोग भी रहते हैं जो किन्नर नहीं होते. इसके अलावा एक किन्नर अपने जीते जी समाज में ऐसे कई लोगों के साथ अपने संबंध अच्छे कर लेता है जो उसके अंतिम समय में उसके साथ रहते हैं. महन्त कामिनी कहती हैं कि ऐसे ही लोग किसी किन्नर का अंतिम संस्कार करते हैं. ये लोग किन्नर की अंतिम यात्रा में भी शामिल होते हैं और उसका क्रिया कर्म भी करते हैं.


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