द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुए यहूदी नरसंहार (होलोकॉस्ट) इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक है. एडॉल्फ हिटलर के नेतृत्व में नाजी जर्मनी ने लाखों निर्दोष यहूदियों को मौत के घाट उतारा, जिनमें से करीब 15 लाख बच्चे भी शामिल थे. यह एक ऐसा नरसंहार था जिसने मानवता को झकझोर कर रख दिया. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान यहूदियों के लिए हिटलर ने कैंप लगाए थे, जिनमें यहूदियों के साथ जो होता था वो सुनकर रूह भी कांप जाती है. चलिए जानते हैं कि कैसे हिटलर के कैंपों में यहूदियों को अमानवीय यातनाएं दी गईं और इतनी बड़ी संख्या में लोगों को मौत के घाट उतारा गया.


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नाजी कैंप में कैसे यहूदियों को दी जाती थी दर्दनाक मौत


नाजी जर्मनी ने यहूदियों को कैद करने और मारने के लिए खास शिविरों का निर्माण किया था. इन शिविरों को कंसंट्रेशन कैंप कहा जाता था. इन कैंपों में कैदियों को अमानवीय परिस्थितियों में रखा जाता था. उन्हें भूखा रखा जाता था, पीटा जाता था और यातनाएं दी जाती थीं.


इसके लिए इन कैंपों में गैस चैंबर बनाए गए थे, जहां बड़ी संख्या में लोगों को एक साथ मार दिया जाता था. जहरीली गैस छोड़कर लोगों को दम घुटने तक मारा जाता था. इसके अलावा कैदियों को कई तरह की शारीरिक यातनाएं दी जाती थीं. उन्हें पीटा जाता था, बिजली के झटके दिए जाते थे और उनके साथ क्रूर प्रयोग किए जाते थे. साथ ही नाजी डॉक्टरों ने कैदियों पर कई तरह के चिकित्सकीय प्रयोग किए. इन प्रयोगों में कैदियों को जानबूझकर बीमार किया जाता था और उन पर नए दवाओं का परीक्षण किया जाता था. सबसे दर्दनाक तो ये था कि कैदियों को बहुत कम भोजन और पानी दिया जाता था. कई लोग भूख और प्यास से ही मर जाते थे. वहीं कैदियों को कठिन काम कराया जाता था. उन्हें भारी बोझ उठाना होता था और लंबी दूरी तक चलना होता था. जो काम करने में असमर्थ होते थे, उन्हें मार दिया जाता था.


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15 लाख बच्चों को भी उतारा मौत के घाट


नाजी शासन ने बच्चों को भी नहीं बख्शा. लाखों यहूदी बच्चों को उनके माता-पिता से अलग कर दिया गया और उन्हें कैंपों में भेज दिया गया. इन बच्चों को भी वयस्कों की तरह ही यातनाएं दी जाती थीं और उन्हें मार दिया जाता था. बच्चों को अक्सर प्रयोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता था या उन्हें भूख से मरने दिया जाता था.


क्यों किया गया यह नरसंहार?


हिटलर का मानना था कि यहूदी जर्मन लोगों के लिए एक खतरा हैं. उसने यहूदियों को जर्मनी की सभी समस्याओं के लिए जिम्मेदार ठहराया. नाजी विचारधारा में यहूदियों को एक नीचि जाति के रूप में देखा जाता था और उन्हें खत्म करने की बात कही जाती थी.


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