कैसे हुआ था काजू कतली का आविष्कार, भारत से है कनेक्शन
Kaju Katli Born: घर पर जब कोई मेहमान आता है और साथ में काजू कतली मिठाई लेकर आता है तो बच्चों के चेहरे पर खुशी आ जाती है, क्योंकि यह मिठाई खास होती है. क्या आपको पता है कि इसकी शुरुआत कब हुई थी?
Kaju Katli Born: बच्चों का रिजल्ट आया हो, उसकी नौकरी लग गई हो या कोई नया रिश्ता आया हो. वजह चाहे जो भी हो. लोग पड़ोसियों का मुंह मीठा कराने से पीछे नहीं हटते हैं. उसमें भी खास बात तब होती है जब मिठाई काजू कतली हो. यह मिठाई थोड़ी महंगी जरूर होती है, लेकिन स्वाद के लिए हाथ से देखेंगे तो आपको कोई शिकायत नहीं होगी. जब काजू कतली आपको पसंद है तो क्या कभी आपके मन में यह ख्याल आया कि इसकी शुरुआत कब हुई थी? और इसका भारत से क्या कनेक्शन है? अगर आपके पास इसका जवाब नहीं है तो यह स्टोरी आपके लिए है.
इसको लेकर अलग-अलग है कहानियां
कहा जाता है कि काजू कतली का आविष्कार 16वीं शताब्दी में मराठा साम्राज्य के शाही परिवार के लिए काम करने वाले एक मशहूर शेफ़ भीमराव ने किया था. भीमराव को एक नई मिठाई बनाने का काम सौंपा गया था जो शाही परिवार को प्रभावित कर दे. भीमराव ने पारसी मिठाई हलुआ ए फ़ारसी में प्रयोग के तौर पर बादाम की जगह काजू का इस्तेमाल किया और काजू कतली का आविष्कार हुआ.
एक कहानी यह भी है कि काजू कतली का आविष्कार मुगल काल में हुआ था. इसे सबसे पहले जहांगीर के शासन काल में बनाया गया था. कहा जाता है कि जहांगीर ने काजू कतली को सिख गुरु को सम्मान देने के लिए शाही रसोई में बनवाई थी. वहीं कुछ लोग कहते हैं कि जहांगीर के शाही बावर्ची ने दिवाली के दिन काजू, शक्कर, और घी से बनी एक मिठाई बनाई थी. इस मौके पर बांटी गई इस मिठाई को देश के अन्य क्षेत्रों में भी जल्दी ही प्रचलित हो गई.
काजू कतली एक पारंपरिक भारतीय मिठाई है. इसे घर पर बनाना बहुत मुश्किल नहीं है. इसमें भारी मात्रा में शुगर होती है. फिर भी यह गुलाब जामुन या जलेबी से भी बेहतर है क्योंकि वे दोनों सबसे पहले मैदा से बने होते हैं, तले हुए होते हैं और इनमें बहुत अधिक चीनी होती है.
ये भी पढ़ें: आपके कपड़ों को कैसे मिले रंग? मशरूम, स्नेल और पेड़-पौधों से है इसका कनेक्शन, जानें हकीकत