Kargil Vijay Diwas: कैसे पड़ा कारगिल शहर का नाम, क्या है वीरों की धरती का इतिहास
26 जुलाई के दिन कारगिल युद्ध लड़ने और भारत की पहाड़ियों पर भारतीय ध्वज फहराने वाले वीर जवानों के सम्मान में कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है. क्या आप जानते हैं कि वीरभूमि कारगिल का नाम कैसे पड़ा था.
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कारगिल विजय दिवस हर साल 26 जुलाई को कारगिल युद्ध में लड़ने वाले सैनिकों के सम्मान में मनाया जाता है. कारगिल को वीरों की धरती भी कहा जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि वीरों की धरती कारगिल शहर का नाम कैसे पड़ा था और इसका मतलब क्या होता है. आज हम आपको बताएंगे कि कारगिल शहर का नाम कारगिल कैसे पड़ा था.
कारगिल विजय दिवस
देश में हर साल 26 जुलाई के दिन कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है. 26 जुलाई को मनाया जाने वाला कारगिल विजय दिवस 1999 के कारगिल युद्ध में भारत की जीत के जश्न के तौर पर मनाया जाता है. बता दें कि इस दिन हम उन भारतीय सैनिकों की बहादुरी और बलिदान का सम्मान करते हैं, जिन्होंने पाकिस्तानी घुसपैठियों से कारगिल की पहाड़ियों को वापस पाने के लिए अथक संघर्ष किया था.
कारगिल शहर
कारगिल शहर का कुल क्षेत्रफल 14,086 वर्ग किलोमीटर है. ये श्रीनगर से लेह की ओर 205 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. कारगिल को आज दुनियाभर में ‘आगा की धरती’ के तौर पर जाना जाता है. दरअसल इसके पीछे की वजह ये है कि कारगिल की बड़ी आबादी शिया मुसलमानों की है और आगा लोग धार्मिक प्रमुख और उपदेशक हैं.
कारगिल का नाम
कारगिल नाम दो शब्दों खार और आरकिल से मिल बना है. खार का मतलब महल और आरकिल का मतलब केंद्र है. इस प्रकार ये महलों का केंद्र है. बता दें कि ये इलाका कई राजवंशों के इलाकों के बीच में रहा है. वहीं कई आलोचकों का कहना है कि कारगिल शब्द की उत्पत्ति गार और खिल शब्दों से हुई है. स्थानीय भाषा में गार का अर्थ है ‘कोई भी जगह’ और खिल का अर्थ एक केंद्रीय स्थान होता है. ये इस बात से भी साबित होता है कि कारगिल श्रीनगर, स्कार्दो, लेह और पदुम से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. वहीं समय बीतने के साथ खार आरकिल या गार खिल को कारगिल के नाम से जाना जाने लगा.
इतिहास क्या कहता
इतिहासकार परवेज दीवान ने ‘कारगिल ब्लंडर’ नाम की किताब में कारगिल के नाम को लेकर बताया है. दरअसल कारगिल नाम के एक व्यक्ति ने सबसे पहले इस क्षेत्र में रहने के लिए पोयेने और शिलिकचाय क्षेत्र में जंगलों को साफ किया था. वहीं बाद में उसके नाम पर ही इस इलाके का नाम कारगिल हो गया था और फिर यहां पर गशो था था खान का आगमन हुआ था. बता दें कि गशो था था खान वह पहले प्रसिद्ध योद्धा थे, जिन्होंने कारगिल में एक राजवंश की स्थापना की थी. था था खान गिलगित के शाही परिवार के वंशज थे, जिन्होंने 8वीं शताब्दी की शुरुआत में कारगिल पर कब्जा किया था. उनके वंश ने प्रारंभिक काल में कारगिल के सोद क्षेत्र पर शासन किया और बाद में स्थायी रूप से शकर चिकटन क्षेत्र में बस गए थे.
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