भारत के सामने कितनी देर तक टिक सकता है तालिबान, जान लीजिए जवाब
तालिबानी सेना ने पाकिस्तान को जवाब देते हुए कई इलाकों में हमला किया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत और तालिबान में किसकी सेना मजबूत है. जानिए किसके पास कितने सैनिक हैं.
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव जारी है. इस बीच तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के आतंकवादियों ने खैबर पख्तूनख्वा के बाजौर जिले के सालारजई इलाके में में एक पाकिस्तानी सैन्य अड्डे पर कब्जा कर लिया है. लेकिन क्या आप कभी ये सोचा है कि अगर तालिबानी सेना भारत से बगावत करता है, तो भारत के सामने तालिबानी सेना कितनी देर सामने रह पाएगी. आज हम आपको बताएंगे कि तालिबानी सेना से भारतीय सेना कितनी बड़ी है.
भारत और तालिबान की सेना
भारत दुनिया की चौथी सैन्य महाशक्ति के तौर पर जाना जाता है. भारत में 14.44 लाख एक्टिव सैनिक हैं, जो दुनिया में दूसरे नंबर पर है. वहीं भारत की तुलना में अफगानिस्तान के सैनिक कुछ भी नहीं हैं. वहीं भारत की पैरामिलिट्री फोर्स में 25,27,000 सैनिक हैं. इसके अलावा भारतीय सेना के पास 4,500 टैंक और 538 लड़ाकू विमान हैं. सुपरसोनिक मिसाइल से लेकर न्यूक्लियर वेपन तक भारत हर एक मोर्चे पर तालिबान, पाकिस्तान या बांग्लादेश तीनों से बहुत आगे हैं.
अफगानिस्तानी सेना में इतने सैनिक
बता दें कि भारत के सामने अफगानिस्तान की सेना कुछ भी नहीं है. अफगानिस्तान की सेना में करीब 3 लाख सैनिक हैं. इसमें अफगान आर्मी, एयर फोर्स और पुलिस बल की संख्या भी है. हालांकि अफगानिस्तान के पास वायु सेना में कोई खास ताकत नहीं है. वहीं भारत का एयर फोर्स दुनिया के टॉप फोर्स में गिना जाता है. दूसरी सबसे जरूरी बात ये है कि अफगानिस्तान के पास हथियारों का जखीरा तो है, लेकिन अफगानिस्तान के सैनिकों के पास सैन्य ट्रेनिंग नहीं है. यही वजह है कि वो हथियारों का सही इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं.
अफगानिस्तान के पास है ये हथियार
रिपोर्ट्स के मुताबिक अफगानिस्तान के पास अमेरिका ने हथियारों का जखीरा छोड़ा हुआ है. बता दें कि अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान में लगभग 7 बिलियन डॉलर मूल्य के सैन्य उपकरण छोड़े हैं. इनमें M4 कार्बाइन, 82 एमएम मोर्टार लॉन्चर, M16 राइफल और सेना के के हथियार के साथ-साथ सैन्य वाहन, नाइट विजन, ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर, A29 लड़ाकू विमान, संचार और निगरानी में इस्तेमाल होने वाले उपकरण शामिल हैं. हालांकि इतने हथियारों का जखीरा होने के बाद भी अभी अफगानिस्तान की तालिबानी सेना इसका इस्तेमाल नहीं कर पा रही है. क्योंकि तालिबानी सेना के पास सैन्य प्रशिक्षण नहीं है. अफगानिस्तान के सामने युद्ध के समय सबसे बड़ी समस्या ये ही सामने आएगी कि उनकी सेना के जवान प्रशिक्षित नहीं है.
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