प्लेन में जब आप बैठते हैं तो एरहोस्टेज फ्लाइट के टेकऑफ से पहले कुछ बातें आपको बताती है. इन्हीं में से एक बात आपकी सीट के ऊपर लगे ऑक्सीजन मास्क को लेकर होती है. जिसका उपयोग आपको तब करना होता है, जब प्लेन में हवा का दबाव कम हो जाता है.


इसके अलावा जब प्लेन किसी ऐसी जगह उड़ रहा हो, जहां हर तरफ धुआं ही धुआं हो तब भी इस ऑक्सीजन मास्क का उपयोग किया जाता है. चलिए अब आपको बताते हैं कि आखिर प्लेन में लगा ऑक्सीजन मास्क आपकी जान कितनी देर तक बचा सकता है.


ऑक्सीजन मास्क का इस्तेमाल कब किया जाता है


प्लेन में लगे ऑक्सीजन मास्क का इस्तेमाल तब किया जाता है जब केबिन प्रेशर में किसी वजह से अचानक कमी आ जाती है. इसके अलावा प्लेन जब 10 हजार फीट की ऊंचाई पर होता है या उससे ऊपर उड़ रहा होता है तो हवा में ऑक्सीजन का स्तर काफी कम हो जाता है, जिसकी वजह से यात्रियों को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है. इस स्थिति में भी ऑक्सीजन मास्क का इस्तेमाल किया जाता है.


कितनी देर तक जान बचाता है ऑक्सीजन मास्क


इंडियन एक्सप्रेस ने इस सवाल का जवाब जब भारतीय वायु सेना के रिटायर फाइटर पायलट और मौजूदा समय में जेटब्लू के पायलट संदीप चंद्र से बात की तो उन्होंने इस ऑक्सीजन मास्क की पूरी सच्चाई बताई. उन्होंने बताया कि प्लेन में लगा ऑक्सीजन मास्क आपको 14000 फीट की ऊंचाई तक ऑक्सीजन दे सकता है. हालांकि, ज्यादातर हवाई जहाजों में ये ऑक्सीजन महज 15 मिनट तक ही चलता है. 


प्लेन में कभी ऑक्सीजन की कमी आ जाए तो क्या करें


आमतौर पर ऐसी स्थिति नहीं आती कि यात्रियों को ऑक्सीजन मास्क का इस्तेमाल करना पड़े. हालांकि, अगर कभी ऐसी स्थिति आ जाए तो आपको सबसे पहले शांत हो कर केबिन क्रू और पायलट से मिलने वाले निर्देशों को सुनना चाहिए. इसके बाद जैसे आप से बताया जाए वैसे ऑक्सीजन मास्क का उपयोग करना चाहिए. सबसे बड़ी बात कि ऐसी स्थिति में आपको घबराना नहीं है, बल्कि शांत रहते हुए आराम-आराम से सांस लेना है. दरअसल, घबराहट में सांस और तेज चलने लगती है और ऑक्सीजन का इस्तेमाल ज्यादा होने लगता है. ऐसे में अगर केबिन का प्रेशर ज्यादा देर तक कम रहा तो आपको समस्या हो सकती है.


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