अपनी सांस कितनी देर तक रोक सकता है इंसान, क्या ऐसा करके ली जा सकती है अपनी जान?
एक स्वस्थ्य शरीर वाला इंसान 30 से 90 सेकेंड तक बिना परेशानी के अपनी सांस रोक सकता है. हालांकि, नियमित रूप से व्यायाम करके आप सांस रोकने की क्षमता बढ़ा भी सकते हैं.
इंसानों के लिए बेशक पानी बहुत जरूरी है, लेकिन उससे भी जरूरी है सांस लेना. अगर किसी इंसान की सांस ज्यादा देर तक रोक दी जाए तो उसकी जान जा सकती है. सांस लेने के पीछे सिंपल साइंस है. शरीर को ऑक्सीजन की जरूरत होती है, और ऑक्सीजन लेने के लिए हम सांस लेते हैं. हर मिनट की बात करें तो एक सामान्य व्यक्ति एक मिनट में 12 से 20 बार सांस लेता और छोड़ता है. अगर हम व्यायाम कर रहे हैं या दौड़ रहे हैं तो सांस लेने की दर बढ़ जाती है.
एक सामान्य इंसान की बात करें तो वह दिन में करीब 22 हजार बार सांस लेता और छोड़ता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इंसान कितनी देर तक अपनी सांस रोक सकता है? और क्या इंसान सांस रोककर खुद की जान ले सकता है? आइए जानते हैं.
सांस रोककर लग जाता है स्वास्थ्य का अंदाजा
एक्सपर्ट्स का कहना है कि एक इंसान कितनी देर तक सांस रोक सकता है, इससे उसके स्वास्थ्य का अंदाजा लगाया जा सकता है. सामान्य तौर पर कहें तो एक स्वस्थ्य शरीर वाला इंसान 30 से 90 सेकेंड तक बिना परेशानी के अपनी सांस रोक सकता है. अगर आप 90 सेकेंड तक सांस रोक ले रहे हैं, तो आप पूरी तरह स्वस्थ्य हैं. हालांकि, नियमित रूप से व्यायाम करके आप सांस रोकने की क्षमता बढ़ा भी सकते हैं. एक अच्छे एथलीट और पानी के नीचे काम करने वाले इंसान अभ्यास से इस क्षमता को बढ़ा लेते हैं.
स्मोकिंग करने वालों की क्षमता होती है कम
आप स्मोकिंग करते हैं, शराब का नियमित सेवन करते हैं या फिर एक अनहेल्दी दिनचर्या अपनाते हैं तो आपके सांस रोकने की क्षमता कम हो सकती है. यानी अगर आप 30 से 90 सेकेंड तक सांस रोकने में सक्षम नहीं हैं तो इसका मतलब हुआ कि आपको अपनी जीवन शैली में सुधार करने की जरूरत है. अक्सर स्मोकिंग करने वालों में ऐसा देखा गया है. स्मोकिंग करने से हमारे लंग्स खराब होने लगते हैं, जिससे सांस रोकने की क्षमता भी घट जाती है.
सांस रोककर ली जा सकती है अपनी जान?
जवाब है- नहीं. बेशक इंसान अपनी सांस कुछ समय के लिए रोक सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हो सकता कि इंसान सांस रोककर अपनी ही जान ले ले. एक्सपर्ट्स का कहना है कि सांस रोकने से शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है और कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ जाता है. इसे हाइपोक्सिया कहा जाता है. जब इंसान अपनी क्षमता से ज्यादा देर तक सांस रोकता है, तो उसका शरीर उसे सांस लेने पर मजबूर कर देता है. ज्यादा देर तक सांस रोकने से हमारी कोशिकाएं सामान्य से अलग तरीके से काम करने लगती हैं और इससे दिल की धड़कन भी अनियमित हो जाती है, गुर्दे से लीवर तक को नुकसान पहुंच सकता है. ऐसी हालत में इंसान को दौरा पड़ सकता है, बेहोशी आ सकती है , यहां तक कि उसकी जान भी जा सकती है.
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