भारत में प्लास्टिक प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है. यह समस्या न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि जानवरों, विशेषकर गायों के लिए भी जानलेवा साबित हो रही है. हर साल हजारों गायें प्लास्टिक निगलने के कारण अपनी जान गंवा देती हैं. यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे लोग गंभीरता से नहीं ले रहे और इसके चलते बड़ी संख्या में गायों की मौत हो रही है.
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प्लास्टिक क्यों बन रहा है जानलेवा?
पेट में जमाव: जब गायें प्लास्टिक निगलती हैं तो यह उनके पेट में जमा हो जाता है. यह प्लास्टिक उनके पाचन तंत्र को बाधित करता है और भोजन को ठीक से पचने नहीं देता.
अवरोध: प्लास्टिक के टुकड़े आंतों में फंस जाते हैं और पाचन तंत्र को पूरी तरह से अवरुद्ध कर देते हैं.
जहरीले पदार्थ: प्लास्टिक में कई तरह के जहरीले रसायन होते हैं जो गायों के शरीर में जमा हो जाते हैं. ये रसायन विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंचाते हैं और कई बीमारियों का कारण बनते हैं.
भूख न लगना: पेट में प्लास्टिक होने के कारण गायें भूख कम महसूस करती हैं और कम खाती हैं. इससे कुपोषण और कमजोरी होती है.
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प्लास्टिक खाने से हर साल होती है इतनी गायों की मौत
यूनाइटेड नेशंस की एक रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में हर साल 500 बिलियन प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल किया जाता है. प्लास्टिक पॉलिथीन खाने से मरने वाली गायों की मौतों का आंकड़ा सबसे बड़ा है. कई अध्ययनों से पता चला है कि भारत में हर साल हजारों गायें प्लास्टिक निगलने के कारण मर जाती हैं.
हालांकि, सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं क्योंकि कई मौतें बिना रिपोर्ट किए ही रह जाती हैं, लेकिन इतना तो निश्चित है कि यह समस्या बहुत बड़ी है और इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है. इस लिस्ट में कई राज्यों के नाम शामिल हैं. लेकिन राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों का हाल सबसे बुरा है. इंडिया टुडे की 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक यहां 1000 पशुओं की मौत प्लास्टिक का कचरा खाने से हुई है. इसके अलावा ये देश के अन्य शहरों में भी गंभीर समस्या है.
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