कितने लीटर तेल में होती है हवाई जहाज की टंकी फुल? जानिए टैंक की कैपिसिटी
फ्लाइट में सफर करने के दौरान आपने देखा होगा कि टेकऑफ से पहले फ्लाइट में फ्यूल भरा जाता है. क्या आप जानते हैं कि कितने लीटर तेल में फ्लाइट की टंकी फुल होती है. जानिए फ्लाइट का माइलेज कितना होता है.
आज के वक्त अधिकांश लोग समय बचाने के लिए फ्लाइट से सफर करना पसंद करते हैं. लेकिन फ्लाइट में सफर करने वाले अधिकांश यात्रियों को फ्लाइट को लेकर जानकारी नहीं होती है. क्या आप जानते हैं कि फ्लाइट में कितना लीटर तेल भरने पर टंकी फुल हो जाती है. आज हम आपको बताएंगे कि फ्लाइट टंकी कितने लीटर में फुल होती है और इसकी कैपिसिटी कितनी होती है.
फ्लाइट फ्यूल
कई बार आपने फ्लाइट में सफर करने के दौरान देखा होगा कि एयरपोर्ट पर फ्लाइट टेकऑफ करने से पहले उसमें फ्यूल भरा जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि फ्लाइट में कितना फ्यूल भरा जाता है. वहीं अगर किसी कारण से फ्लाइट को उड़ान का समय और दूरी बढ़ाना पड़ा तो फ्यूल खत्म होने की स्थिति में पायलट क्या करता है. बता दें कि किसी भी फ्लाइट का फ्यूल टैंक उसके साइज पर निर्भर करता है. जैसे एयरबस ए380 के फ्यूल टैंक में 323,591 लीटर, बोइंग 747 में 182,000 लीटर तेल आता है. वहीं छोटे जहाजों की फ्यूल टैंक कैपिसिटी 4000–5000 लीटर की होती है. इसके अलावा बीच के विमानों की 26000 से 30000 लीटर फ्यूल टैंक कैपिसिटी होती है.
फ्लाइट का माइलेज
1 लीटर पेट्रोल में बाइक लगभग 30-40 किलोमीटर और कार 10 से 25 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं. ये गाड़ी के माइलेज पर निर्भर करता है. लेकिन फ्लाइट का माइलेज क्या होता है? जानकारी के मुताबिक बोइंग 747 बनाने वाली कंपनी के मुताबिक फ्लाइट को एक किलोमीटर उड़ान भरने के लिए लगभग 12 लीटर फ्यूल की जरूरत होती है. वहीं प्लेन की रफ्तार 900 किलोमीटर/घंटा (ग्राउंड स्पीड) होती है. इस फ्लाइट में एक बार में 568 लोग बैठकर एक साथ फ्लाइट में सफर कर सकते हैं. कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक घंटे में फ्लाइट 2400 लीटर फ्यूल की खपत करती है. सामान्य तौर पर एक घंटे में फ्लाइट 900 किलोमीटर तक की दूरी तय करती है. इस हिसाब से एक किलोमीटर के लिए 2.6 लीटर फ्यूल की खपत होती है.
अब सवाल ये है कि अगर आसमान में फ्यूल खत्म होता है तो पायलट क्या करता है. बता दें कि जब भी हवा में उड़ रहे प्लेन का पेट्रोल खत्म होता है, उससे पहले इंडिकेटर की मदद से पायलट को पता चल जाता है. जिसके बाद पायलट यह जानकारी कंट्रोल रूम तक भेजता है. इस स्थिति में कंट्रोल रूम सबसे पास के इलाके से एक फ्यूल भरे दूसरे फ्लाइट को आसमान में भेजता है. वहीं जब फ्यूल से भरा प्लेन पहले वाले प्लेन के पास पहुंचता है, तो दोनों प्लेन एक दूसरे के साथ पैरेलल एक ही स्पीड में उड़ान भरते हैं. इस वक्त फ्यूल वाले प्लेन से एक नोजल निकाला जाता है. नोजल में सेंसर लगा होता है, जिसकी मदद से वो फ्यूल टैंक को खोज कर उसमें फ्यूल भरने का काम करता है. बता दें कि फ्लाइट के वींग में फ्यूल टैंक होता है.
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