(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
देश में कितने लोगों को लगी थी कोविशील्ड, जिसके शरीर पर पड़ रहे हैं कई साइड इफेक्ट्स
हाल ही में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़े हैं. ऐसे में एस्ट्राजेनेका ने इस साल फरवरी महीने में यूके के हाईकोर्ट के सामने इस बात को कबूल किया है.
पिछले कुछ समय में हार्ट अटैक के मामले तेज़ी से बढ़े हैं. कई लोग इसका ज़िम्मेदार कोविड-19 वैक्सीन को बता रहे हैं. कोरोनावायरस की दवा बनाने वाली ब्रिटेन की फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका ने पहली बार ये बात स्वीकार की है कि इस कोविड-19 वैक्सीन के साइड इफेक्ट हो सकते हैं. एस्ट्राजेनेका कंपनी ने यूके हाईकोर्ट में इस बात को क़बूल किया कि कोविड-19 वैक्सीन से थ्रोम्बोसाइटोपेसनिया सिंड्रोम (TTS) जैसे साइड इफेक्ट किसी व्यक्ति में सामने आ सकते हैं.
लोगों को क्यों हो रहा हार्ट अटैक?
थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम से शरीर में खून के थक्के जमना शुरू हो जाते हैं. इसके अलावा बॉडी में प्लेटरेट्स भी तेज़ी से गिरने लगता है. बॉडी में ब्लड क्लॉक की वजह से ब्रेन स्ट्रोक या कार्डियक अरेस्ट जैसी आशंकाएं बढ़ जाती हैं.
कितने लोगों ने लगवाई वैक्सीन?
कंपनी ने अपने पक्ष में जो तर्क दिए हैं उसमें उसका कहना है कि कोविड-19 महामारी के दौरान वैक्सीन की मदद से दुनियाभर में 60 लाख लोगों की ज़िंदगियां बचाई गई हैं.
एस्ट्राजेनेका का कहना है कि वैक्सीन लगने के बाद कई तरंग की समस्याओं का दावा कर रहे लोगों की स्थिति से वो चिंतित हैं. हालांकि कंपनी अब भी अपने उस दावे पर क़ायम थी कि इस वैक्सीन के दुष्प्रभाव अति से अति दुर्लभ मामलों में ही आ सकते हैं.
मालूम हो कि एस्ट्राजेनेका ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के साथ मिलकर भारत के पुणे में कोविशील्ड वैक्सीन तैयार की है. वहीं कोरोना महामारी के बाद लोगों के हार्ट अटैक से दम तोड़ने की घटनाएं बेहद आम होने लगी हैं. जिसके बाद से ही कोविड वैक्सीन को संदेह की नजरों से देखा जाने लगा है. अब देखना ये होगा कि आने वाले समय में इन मामलों में कोई सुधार देखने को मिलता है या नहीं.
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