Day-Night in Space: हमने बचपन से लेकर अबतक यही सुनते और समझते आ रहे हैं कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाती है. इस दौरान वो साथ ही अपनी धुरी पर भी तेजी से घूमती है. ऐसे में घूमने के दौरान पृथ्वी का जो भाग सूर्य के सामने होता है, वहां दिन होता है. वहीं जो भाग सूर्य की रोशनी से छिपा रहता है, वहां रात होती है. धरती अपनी धुरी पर लगभग 1670 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से घूमती है. इस रफ्तार से घूमने पर भी पृथ्वी को अपनी धुरी पर एक चक्कर लगाने में 24 घंटे का समय लगता है. यही हमारा एक दिन होता है, जिसमें करीब 12 घंटे सूर्य का प्रकाश और 12 घंटे अंधेरा रहता है, लेकिन आज हम आपके मन में उठने वाले आम सवाल कि बात करेंगे, कि आखिर अंतरिक्ष में दिन और रात का पता कैसे चलता होगा? चलिए जानते हैं.
24 घंटे में कितनी बार सूर्योदय और सूर्यास्त देखते हैं एस्ट्रोनॉट्स?
गौरतलब है कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर किसी भी समय औसतन 5 से 7 अंतरिक्ष यात्री रहते हैं. वहीं आईएसएस 27,600 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से धरती की परिक्रमा करता है. ये लगभग 90 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर पूरा कर लेता है. स्पेस स्टेशन लगभग आधा समय सूर्य के प्रकाश और बाकी समय पृथ्वी की छाया में बिताता है. इस तरह स्पेस स्टेशन हर चक्कर में लगभघ 45 मिनट दिन के उजाले और 45 मिनट अंधेरे में रहता है. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन यानी आईएसएस 24 घंटे में 16 बार पृथ्वी की परिक्रमा करता है. इससे साफ होता है कि धरती एक दिन में आईएसएस पर मौजूद एस्ट्रोनॉट्स 16 सूर्योदय और 16 सूर्यास्त देखते हैं.
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लंबे समय तक तेजी से दिन-रात होना बन सकता है समस्या?
बता दें एस्ट्रोनॉट्स के लिए अंतरिक्ष से एक दिन में 16 सूर्यास्त और 16 सूर्योदय देखना शुरुआत दिनों में शानदार अनुभव हो सकता है, लेकिन ज्यादा लंबे समय में ये उनके लिए गंभीर समस्या खड़ी कर देता है. दरअसल, इंसानों का शरीर 24 घंटे के चक्र पर चलने के लिए बना है. वहीं सूर्य की रोशनी इस चक्र को नियंत्रित करने में बड़ी भूमिका निभाती है.
धरती पर हमारी सर्कैडियन रिदम लाइट पैटर्न की आदी होती है. सूरज की रोशनी हमें जगाती है, तो अंधेरा नींद को बढ़ावा देता है. ऐसे में सूरज की रोशनी और अंधेरे के बीच तेजी से स्विच करने पर अंतरिक्ष यात्रियों की जैविक घड़ी पर काफी असर पड़ता है. इससे एस्ट्रोनॉट्स को लगता है, जैसे उन्हें लगातार जेट लैग हो रहा हो. इसी स्थिति से बचने के लिए आईएसएस पर धरती के सामान्य दिन-रात का माहौल बनाया जाता है.
कैसे आईएसएस पर बनाया जाता है सामान्य दिन-रात का माहौल?
आपको जानकर हैरानी होगी कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर धरती के दिन और रात जैसा माहौल बनाने के लिए आईएसएस को यूनिवर्सल को-ऑर्डिनेटेड टाइम यानी UTC पर सेट किया गया है. बता दें यूटीसी समय का वैश्विक मानक है, जो दो फैक्टर्स का इस्तेमाल कर तय किया जाता है. पहला इंटरनेशन एटॉमिक टाइम, जिसमें बहुत ही ज्यादा सटीक परमाणु घड़ियों का इस्तेमाल कर गण्ना की जाती है. वहीं दूसरा यूनिवर्सल टाइम, जिसमें पृथ्वी के घूर्णन के आधार पर समय की गणना की जाती है. क्योंकि आईएसएस कई देशों का संयुक्त प्रोजेक्ट है, जिसमें दुनिया की पांच प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियां शामिल हैं. इसलिए यूटीसी सबसे अच्छा विकल्प था. ये सभी एजेंसियों के बीच प्रभावी सहयोग की सुविधा प्रदान करता है.
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