दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने कमर कस लिया है. इस बीच चुनाव आयोग ने दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीख का मंगलवार को ऐलान कर दिया है. दिल्ली में आगामी 5 फरवरी को मतदान होना है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में कोई प्रत्याशी एक साथ कितनी सीटों पर चुनाव लड़ सकता है. आज हम आपको इसके पीछे की वजह बताएंगे.
दिल्ली विधानसभा चुनाव
दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारी को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां तैयार हैं. इसके अलावा अधिकांश पार्टियों ने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा भी कर चुके हैं. मंगलवार को मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके जानकारी दिया है कि दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों पर एक चरण में 5 फरवरी को वोट डाले जाएंगे. वहीं चुनाव के नतीजे 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे. बता दें कि चुनाव की तारीख के ऐलान के साथ ही दिल्ली में चुनाव 'आदर्श आचार संहिता' लागू हो गई है.
एक साथ कितने सीट पर लड़ सकते हैं चुनाव
अब सवाल ये है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक उम्मीदवार कितनी सीटों पर एक साथ चुनाव लड़ सकता है और इसके लिए क्या नियम हैं. संविधान में चुनाव लड़ने को लेकर जन प्रतिनिधित्व अधिनियम है. इस अधिनियम के तहत ही सारी प्रक्रियाएं पूरी होती हैं. बता दें कि इस एक्ट की धारा 33 किसी व्यक्ति की उम्मीदवारी के लिए सीटों की सीमा तय करती है. बता दें कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम,1951 के सेक्शन 33 के तहत व्यक्ति एक से अधिक जगह से चुनाव लड़ सकता है. लेकिन 1996 में धारा 33 में संशोधन किया गया था, जिसके बाद धारा 33 (7) के अनुसार कोई भी उम्मीदवार केवल दो सीटों पर ही एक साथ चुनाव लड़ सकता है.
दो सीटों पर चुनाव जीतने पर क्या होगा ?
अब सवाल ये है कि अगर कोई उम्मीदवार दो सीटों पर चुनाव लड़ता है और दोनों सीटों पर जीत जाता है, तो क्या होगा. आज हम आपको इससे जुड़े नियम के बारे में बताएंगे. दरअसल अगर कोई उम्मीदवार दोनों सीटों पर चुनाव जीतता है, तो उसे लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम,1951 के तहत एक सीट छोड़नी होगी. क्योंकि इस अधिनियम के सेक्शन 70 में कहा गया है कि कोई भी उम्मीदवार एक बार में केवल एक ही सीट का प्रतिनिधित्व कर सकता है. वहीं ऐसी स्थिति में दूसरी सीट पर उपचुनाव कराया जाएगा.
ये भी पढ़ें:कैसे होता है मुख्य चुनाव आयुक्त का सेलेक्शन, किन योग्यताओं के आधार पर होता है चयन?