पेरिस ओलंपिक खेल 2024 में दुनियाभर के 10,500 से अधिक खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया है. भारतीय खिलाड़ी भी ओलंपिक खेलों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन इन खेलों के अलावा फ्रांस की राजधानी पेरिस में सभी सुरक्षा एजेंसी खिलाड़ियों की सुरक्षा के लिए हाई अलर्ट पर हैं. क्या आप जानते हैं कि ओलंपिक के इतिहास में कब-कब खेलों के आयोजन के दौरान आतंकी हमला हुआ है. आज हम आपको बताएंगे कि ओलंपिक खेलों के आयोजन के दौरान आतंकी हमला कब और कैसे हुआ है.
पेरिस ओलंपिक
इस बार ओलंपिक खेलों का आयोजन फ्रांस की राजधानी पेरिस में हुआ है. इन खेलों में दुनियाभर के खिलाड़ी पहुंचे हैं. इन सभी खिलाड़ियों के सुरक्षा की जिम्मेदारी भी फ्रांस सरकार और उनकी सुरक्षा एजेंसियों की है. गौरतलब है कि 26 जुलाई 2024 के दिन पेरिस ओलंपिक खेलों के भव्य शुभारंभ से कुछ घंटे पहले ट्रेन नेटवर्क पर एक बड़ा हमला हुआ था. जिस कारण कई रेलवे लाइनों पर तोड़फोड़ की गई थी और तारों को जला दिया गया था. इस कारण लंबे समय के लिए रेल सेवा बाधित हुई थी. वहीं पीएम गेब्रियल अट्टल ने हमले को ओलिंपिक में बाधा डालने की साजिश बताया था.
पेरिस में हाई अलर्ट
बता दें कि ओलंपिक खेलों की मेजबानी कर रहे फ्रांस सरकार ने राजधानी पेरिस में सभी सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा है. फ्रांस की सुरक्षा एजेंसी सभी लोगों और जगहों पर नजर बनाए हुए हैं. ओलंपिक खेलों के दौरान फ्रांस सरकार की प्रमुखता सभी देशों से आए खिलाड़ियों की सुरक्षा और ओलंपिक खेलों का शांतिपूर्ण आयोजन है.
ओलंपिक खेलों में आतंकी हमला
ओलंपिक खेलों के इतिहास में साल 1972 कोई नहीं भूलता है. क्योंकि उस वक्त फलस्तीन आतंकियों ने 11 इजरायली खिलाडि़यों को उनके होटल में बंधक बना लिया था. म्यूनिख ओलंपिक गेम्स की शुरुआत 26 अगस्त 1972 को बेहद रंगारंग कार्यक्रम के साथ हुई थी. उस दौरान म्यूनिख से करीब 20 किमी दूर बने ओलंपिक गेम्स विलेज के एक होटल में इजरायल के खिलाड़ी ठहरे हुए थे.
6 सितंबर 1972 के दिन पांच नकाबपोश फलस्तीन आतंकी होटल में घुस गए थे और उन्होंने सबसे पहले वेटलिफ्टर जोसेफ रोमानो को गोली मारी थी, इसके बाद उनका दूसरा शिकार रेसलिंग के कोच मोशे वेनबर्ग बने थे. इस घटना से होटल में अफरातफरी मच गई थी. इस बीच आतंकियों ने 9 इजरायली खिलाडि़यों को बंधक बना लिया था. उन्होंने जर्मनी की सरकार से इजरायल द्वारा गिरफ्तार उनके कुछ चुनिंदा नेताओं को तत्काल रिहा करने की मांग की थी. इतना ही नहीं आतंकियों की तरफ से धमकी दी थी कि यदि ऐसा नहीं होगा तो वो सभी खिलाडि़यों को मार देंगे.
आतंकियों को इसके बाद जर्मनी सरकार ने एक हेलीकाप्टर के साथ सुरक्षित कायरो भेजने की बात कही. जिस पर आतंकियों ने अपने साथ सभी अगवा खिलाडि़यों को ले जाने का दबाव बनाया था, जिस पर जर्मनी सरकार को झुकना पड़ा था. कुछ गाडि़यों में आतंकियों और अगवा खिलाडि़यों को बैठाकर म्यूनिख से दूर बवारिया एयरपोर्ट पर ले जाया गया.
आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन
जानकारी के मुताबिक जर्मनी का प्लान था कि वो वहां पर एक आपरेशन को अंजाम देकर अगवा खिलाडि़यों को सुरक्षित छुड़वा लेंगे. इसके लिए बवारिया एयरपोर्ट के सभी आस-पास की बिल्डिंगों पर शार्प शूटर बैठे हुए थे. जिन्होंने एयरपोर्ट पर पहुंचते ही आतंकियों पर फायरिंग शुरू कर दी थी. गोलीबारी के बीच एक आतंकी ने हथगोला निकालकर हेलीकाप्टर पर फेंका, जिसके बाद एक तेज धमाके के साथ ही वहां पूरा मंजर बदल गया था. सुरक्षाबलों ने सभी आतंकियों को मार गिराया गया था, लेकिन इस ऑपरेशन में एक भी खिलाड़ी भी नहीं बचे थे. इसके बाद कुछ देर के लिए ओलंपिक गेम्स के सभी इवेंट्स रोक दिया गया था. ओलंपिक के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था.
अंटलाटा ओलंपिक
अंटलाटा ओलंपिक 1996 के समय एक पार्क में बम ब्लास्ट हुआ था. इस हमले को आतंकी इरिक रुडोल्फ ने अंजाम दिया था, जो अमेरिका का रहने वाला था. इस हमले में दो लोगों की मौत और 111 लोग घायल हुए थे.
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