UCC के आने के बाद हिंदू और मुस्लिम कितनी शादी कर पाएंगे, जानें नियम
यूनिफॉर्म सिविल कोड में विवाह और तलाक दोनों की स्थिति में रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य किया गया है. वहीं पति और पत्नी के जीवित रहने के दौरान दूसरी शादी करने की इजाजत नहीं होगी. जानें पूरा नियम.
आजादी के बाद देश का पहला समान नागरिक संहिता विधेयक उत्तराखंड 2024 विधानसभा में पास हो गया है. बता दें कि अब बिल राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजा जाएगा, जहां से मुहर लगने के बाद यह कानून राज्य में लागू हो जाएगा. सभी प्रक्रिया पूरी करने के बाद यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनेगा. आज हम आपको बताने वाले हैं कि यूसीसी आने के बाद हिंदू और मुस्लिम समाज के लोग कितनी शादियां कर पाएंगे.
यूसीसी बिल क्या संवैधानिक है?
भारत के संविधान में यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता का जिक्र है. बता दें कि संविधान के आर्टिकल 44 के भाग- 4 में इसकी चर्चा है. इतना ही नहीं इस बिल के लागू होने के बाद हिंदू मैरिज एक्ट, मुस्लिम पर्सनल लॉ और अन्य धर्मों के निजी कानून खत्म हो जाएंगे. सभी धर्मों को एक ही कानून को मानना होगा. बता दें कि इसमें विवाह और तलाक को लेकर भी कई नियम हैं.
शादी का पंजीकरण अनिवार्य
यूसीसी बिल लागू होने के बाद उत्तराखंड राज्य में सभी विवाह के पंजीकरण को अनिवार्य किया गया है. वहीं पहले से हो चुकी शादियों को भी रजिस्टर कराना होगा. हालांकि गांवों में पंचायत स्तर और कस्बों में निकाय स्तर पर विवाह रजिस्ट्रेशन को सरल किया जाएगा. यूसीसी बिल में साफ किया गया है कि लड़का या लड़की दोनों या फिर कोई एक अगर उत्तराखंड का निवासी है, तो उसे विवाह का रजिस्ट्रेशन कराना होगा. शादी के रजिस्ट्रेशन की धारा 10 की उपधारा 1 के तहत लड़का या लड़की पहले से शादी-शुदा नहीं होने चाहिए. आसान भाषा में कहे तो दूसरी शादी नहीं कर सकते हैं. वहीं लड़के की आयु 21 साल और लड़की की आयु 18 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए.
तलाक का भी होगा रजिस्ट्रेशन
यूसीसी बिल लागू होने के बाद पारित तलाक आदेशों का रजिस्ट्रेशन कराना होगा. यूसीसी बिल की धारा 11 की उपधारा 1 में इस संबंध में प्रावधान है. वहीं राज्य के बाहर के कोर्ट में पारित प्रदेश के निवासी की तलाक अर्जी पर आए फैसले के बाद धारा 11 की उपधारा 2 के तहत रजिस्ट्रेशन होगा. यूसीसी बिल लागू होने से पहले राज्य के किसी भी कोर्ट से पारित तलाक आदेश को धारा 11 की उपधारा 3 के तहत रजिस्टर करना होगा. इसी प्रकार प्रदेश के बाहर के कोर्ट में पारित आदेश धारा 11 की उपधारा 4 के तहत रजिस्टर कराए जाएंगे.
1 साल तक तलाक नहीं
यूसीसी बिल में तलाक को लेकर कहा गया है कि शादी की एक साल की अवधि तक पति या पत्नी तलाक का आवेदन नहीं दे सकते हैं. तलाक के लिए पति और पत्नी दोनों को समान अधिकार दिया गया है. वहीं मुस्लिमों में तीन तलाक, हलाला और इद्दत जैसी प्रथाओं पर इस कानून के लागू होने के बाद पूरी तरह से रोक लग जाएगी.
लिव इन का भी रजिस्ट्रेशन
इस बिल के कानून बनते ही उत्तराखंड में लिव इन रिलेशन में रह रहे लोगों को रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी हो जाएगा. ऐसा नहीं करने पर 6 महीने तक की सजा हो सकती है. वहीं पति या पत्नी के जीवित रहने के दौरान दूसरी शादी भी गैर-कानूनी मानी जाएगी. इसके अलावा शादी और तलाक दोनों का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा.
सब रजिस्ट्रार की नियुक्ति
विवाह और तलाक से संबंधित मामलों को रजिस्टर करने के लिए सब-रजिस्ट्रार की नियुक्ति होगी. सरकार इसके लिए मुख्यालय स्तर पर महानिबंधक की नियुक्ति करेगी. वहीं किसी भी व्यक्ति के विवाह और तलाक के रजिस्ट्रेशन की फाइल को स्वीकृत और अस्वीकृत करने का अधिकार सब रजिस्ट्रार के पास होगा. वे सभी चीजों की जांच के बाद यह निर्णय ले सकते हैं. हालांकि आवेदकों को सब रजिस्ट्रार के फैसले को चुनौती देने का अधिकार होगा.
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