इन दिनों पूरे भारत में आईपीएल (IPL) की धूम है. मैच शुरू होते ही लोगों की नजरें स्क्रीन पर टिक जाती हैं. दरअसल, क्रिकेट का क्रेज जितना भारत में है, शायद ही पूरी दुनिया में कहीं होगा. यहां तक कि इंग्लैंड जिसका ये राष्ट्रीय खेल है, वहां भी क्रिकेट का इतना क्रेज नहीं है, जितना भारत में है. यहां आपको हर गली, मैदान में बच्चे क्रिकेट खेलते मिल जाएंगे.


हालांकि, बस उनके पास वो लाइट वाले स्टंप और गिल्लियां नहीं होतीं जो आईपीएल में और इंटरनेशनल मुकाबलों में इस्तेमाल होती हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर मैं गिल्लियों की बात क्यों कर रहा हूं. दरअसल, इन लाइट वाली गिल्लियों की बात मैं उनकी कीमत की वजह से कर रहा हूं. आपको जानकर हैरानी होगी की इन गिल्लियों की कीमत इतनी ज्यादा होती है कि उतनी तो पूरे टीम की मैच फीस भी नहीं होती.


कितनी होती है इनकी कीमत


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आईपीएल के 14वें सीजन में इस्तेमाल होने वाले स्टंप और उनकी लाइट वाली गिल्लियों की कीमत लगभग 40 लाख रुपये थी. आपको जानकर हैरानी होगी की टी20 वर्ल्ड कप के दौरान पूरे 11 खिलाड़ियों वाली टीम का मैच फीस भी इससे कम होता है. टी20 वर्ल्ड कप में मैच फीस लगभग 33 लाख रुपये होती है. वहीं वन डे मैच खेलने के लिए टीम को लगभग 60 लाख रुपये मैच फीस दी जाती है.


किसने बनाया है इन्हें?


लाइट वाले स्टंप और गिल्लियों का अविष्कार ऑस्‍ट्रेलिया के ब्रॉन्‍टे एकरमैन ने किया था. उन्होंने अपने बिजनेस पार्टनर डेविड लेगिटवुड के साथ मिलकर इसे बड़े तौर पर बनाया और जिंग इंटरनेशनल का गठन किया. साल 2013 में बिग बैश लीग के दौरान क्रिकेट ऑस्‍ट्रेलिया को उन्होंने अपना आइडिया बेच दिया. बाद में आईसीसी ने एक प्रयोग के तौर पर 2013 में बांग्लादेश में टी20 वर्ल्‍ड कप के दौरान इन लाइट वाले स्टंप और गिल्लियों का इस्तेमाल किया जिसे बड़ा अच्‍छा रेस्पॉन्स मिला. 


इनके क्या फायदे हैं?


ये सबसे अहम सवाल है. ये जानने का हक तो सबको है कि भाई इतने लाख रुपये खर्च करके जो आप स्टंप और गिल्लियां लेकर आए हो वो सिर्फ इसलिए तो होंगी नहीं कि उनमें लाल लाइट जलती है. दरअसल, इसके कई फायदे हैं. सबसे बड़ा फायदा तो ये है कि इसमें एलईडी लाइट के साथ इन-बिल्ट सेंसर भी लगा होता है, जो 1/1000 सेकेंड आवाज को भी डिटेक्ट कर लेता है. यानी जब इनकी मदद से अंपायर डिसीजन लेता है तो उसमें गलती की चांसेज लगभग नामुमकिन होते हैं. आपको बता दें, इस पूरे सिस्टम को जिंग विकेट सिस्टम कहते हैं.


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