अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. देश में सबसे ज्यादा लोग खासकर लंबे सफर के लिए ट्रेन से ही यात्रा करना पसंद करते हैं, क्योंकि ये काफी किफायती और आरामदायक माना जाता है. लेकिन क्या आपने ट्रेन में सफर करते हुए कभी ये सोचा है कि ट्रेन में जो लाइट,बिजली, एसी चलता है, वो कितनी बिजली का खपत करता है. आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे.
ट्रेन में कितनी होती है बिजली की खपत?
भारत में हर दिन 13 हजार से अधिक ट्रेनों के जरिए लाखों लोग सफर कर रहे हैं. ट्रेन में सफर करने वाले कुछ यात्री जनरल बोगी में सफर करते हैं, वहीं कुछ यात्री स्लीपर और एसी कोच में भी सफर करते हैं. लेकिन सभी कोच में आपने ध्यान दिया होगा कि उसमें लाइट और पंखे लगे ही होते हैं, जिससे यात्रियों को समस्या न हो. लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि एक ट्रेन में कितनी बिजली का खपत होता है. आज हम आपको उस बारे में बताएंगे.
AC वाले कोच में कितनी बिजली खपत?
भारतीय रेलवे की ट्रेनों में लगी AC वाली बोगी में कूलिंग के लिए काफी हैवी एसी लगे होते हैं. जिससे बिजली की खपत भी ज्यादा होती है. बता दें कि भारतीय ट्रेनों में लगा एसी कोच हर घंटे लगभग 210 यूनिट बिजली की खपत करता है. इस तरह 13 घंटों की यात्रा के दौरान यह लगभग 2730 यूनिट बिजली का इस्तेमाल करता है। बता दें कि रेलवे लगभग 7 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदता है. आसान भाषा में 12 घंटे की यात्रा के दौरान इस्तेमाल होने वाली बिजली पर रेलवे 17640 रुपये खर्च करता है.
स्लीपर कोच
आप देखा होगा कि स्लीपर कोच और जनरल कोच में बड़ी संख्या में यात्री सफर करते हैं. इन कोचों में यात्रियों की सुविधाओं को लिए पंखे और लाइट लग रहे हैं, जो अक्सर हर समय ऑन ही रहता है. जानकारी के मुताबिक भारतीय ट्रेनों में लगे नॉन-AC कोच एक घंटे में 120 यूनिट बिजली खर्च करते हैं. यानी इस तरीके से 12 घंटे की यात्रा के दौरान नॉन-AC कोच 1440 यूनिट बिजली खर्च करते हैं.यानी इस कोच की 12 घंटे की यात्रा के लिए रेलवे को 10,800 रुपये खर्च करने पड़ते हैं.
ट्रेन के कोच को कैसे मिलती है बिजली?
ट्रेन में सफर के दौरान आपने कभी ये सोचा है कि हजारों किलोमीटर सफर के दौरान ट्रेन को बिजली कैसे मिलती है. बता दें कि भारतीय रेलवे की ट्रेनों में बोगियों को दो तरह से बिजली मिलती है। इनमें से एक में डायरेक्ट हाई-टेंशन वायर के माध्यम से बोगियों तक बिजली पहुंचाई जाती है, जबकि दूसरे तरीके में ट्रेन में लगे पावर-जनरेटर-कार के माध्यम से बिजली मिलती है। पावर जनरेटर कार को चलाने के लिए डीजल का इस्तेमाल होता है। पावर जनरेटर कार से नॉन बोगियों तक बिजली पहुंचाने के लिए हर घंटे 3200 रुपये और AC वाली बोगियों तक हर घंटे बिजली पहुंचाने के लिए 5600 रुपये खर्च होते हैं।
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