Energy Consumption On Using Internet: आजकल हम टेक्नोलॉजी का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करने लगे हैं. हर किसी के हाथ में स्मार्टफोन है और उसमें डाटा रीचार्ज भी है. खाली समय में हम अपना फोन निकालते हैं और झट से डाटा ऑन करके अपनी मनमर्जी की चीजें इंटरनेट पर देखने लगते हैं. क्या कभी सोचा है कि आप जो ऑनलाइन सर्विसेज यूज करते हैं उसमें बिजली की कितनी खपत होती होगी? कुछ लोग कहेंगे कि सिर्फ उतनी ही जितनी मोबाइल, लैपटॉप या अन्य डिवाइस को चार्ज करने में लगती है. अगर आपको भी ऐसा लग रहा है तो आप गलत सोच रहे हैं. 


इंटरनेट यूज करने से बिजली की खपत


दरअसल, जब भी आप इंटरनेट पर कुछ सर्च करते हैं तो उसमें खर्च होने वाला डाटा, डाटा सेंटर से रिलीज होता है. डाटा सेंटर को चालू रखने के लिए काफी ज्यादा बिजली खर्च होती है. डाटा का जितना ज्यादा यूज होता है, बिजली की खपत भी उतनी ही बढ़ती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में ऑनलाइन रहने वाले तकरीबन 5 अरब डिवाइसेज प्रतिदिन लगभग 7 घंटे इंटरनेट पर एक्टिव रहते हैं. जिसमें लोगों की गाने सुनना, मूवी देखना या कुछ सर्च करना जैसी एक्टिविटीज होती हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि लोग 80 फीसदी डाटा इन्ही सब चीजों में खर्च कर देते हैं. 


1 सर्च में खर्च हो जाती है इतनी बिजली


इस सब में करीब 3GB डाटा खर्च हो जाता है, जिसमें तकरीबन 9 Kwh बिजली खर्च होती है और इसे बनाने में लगभग 3.2 किलो कार्बन का उत्सर्जन होता है. हाल ही में जर्मन कंपनी स्ट्राटो की एक रिपोर्ट आई थी, जिसके मुताबिक इंटरनेट पर एक सर्च करने पर खर्च होने वाली बिजली से आप 11 वॉट की CFL एक घंटे तक जला सकते हैं.


अगर इंटरनेट एक देश होता तो...


आंकड़ों के लिहाज से देखें तो दुनिया भर में इस्तेमाल होने वाले डाटा से बिजली की जितनी खपत हो रही है उसे बनाने के लिए जितना कार्बन उत्सर्जित होता है. वह दुनियाभर में होने वाले कार्बन उत्सर्जन का 2.8 प्रतिशत है. अगर इंटरनेट एक देश होता तो कार्बन उत्सर्जन के मामले में चीन (27%), अमेरिका (15%), भारत (7%), रूस और जापान के बाद छठा देश होता.


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