विज्ञान अब काफी आगे बढ़ गया है. जहां अबतक विदेशों में रोबोट आपको किसी रेस्तरां में खाना सर्व करते और खाना बनाते नजर आ रहे थे या जहां किसी शादी या अन्य समारोह में जो ड्रोन आपकी तस्वीरें खींचते या वीडियो बनाते नजर आ रहे थे वो ड्रोन अब आपको सामान की डिलीवरी भी करेंगे. ये खबर सुनते ही आपके मन में कई खयाल आए होंगे जैसे कि सामान की डिलीवरी होगी कैसे या उससे आसमान में भी उतना ही ट्रैफिक तो नजर नहीं आएगा. तो आपके इस सवाल का जवाब जान लेते हैं.


कैसे ड्रोन करेंगे डिलीवरी?
सबसे पहले ये जान लेते हैं कि आखिर ड्रोन से क्या कार्य किए जाएंगे. तो बता दें कि ड्रोन से  सामान और दवाओं की डिलीवरी, मौसम को लेकर सर्वे, हाईवे और रेल लाइन के लिए सर्वे, लॉ एंड ऑर्डर में मदद के लिए उपयोग, एग्रीकल्चर सर्वे, टोपोग्राफिककल स्टडी और फोटोग्राफी वीडियोग्राफी जैसे कार्य किए जाएंगे. 


आसमान में उड़ेंगे तीन तरह के ड्रोन
वहीं आसमान में तीन तरह के ड्रोन उड़ते नजर आएंगे. जो नैनो ड्रोन, माइक्रो ड्रोन और बड़े ड्रोन होंगे. नैनो ड्रोन 15 मीटर की ऊंचाई पर उड़ सकेेंगे और 250 ग्राम तक वजन उठानेे में सक्ष्म होंगे. वहीं माइक्रो ड्रोन 60 मीटर की ऊंचाई तक उड़ सकेंगे  और 2 किलो तक का वजन उठा सकेंगे. इसके अलावा मिनी स्मॉल या बड़े ड्रोन 60 मीटर तक की ऊंचाई पर उड़ सकेंगे और 2 किलो से लेकर 350 किलो तक का वजन उठा सकेंगे.


कैसे होगा एयर ट्रैफिक कंट्रोल
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर इन ड्रोन का रूट कैसे तय होगा. तो बता दें कि डिजिटल स्काय प्लेटफॉर्म पर ग्रीन, येलो और रेड जोन के साथ इंटरेक्टिव एयरस्पेस मैप तैयार किया जाएगा. यानी भारत का आसमान अब तीन जोन में बांटा जाएगा. जिनमें से ग्रीन जोन जमीन से 400 फीट ऊपर होगा, यलो जोन 200 फीट ऊपर और इसके साथ-साथ रेड (नो-गो एरिया) जोन भी बनेंगे.


किन जगहों पर ड्रोन उड़़ाने पर होगी परमिशन की जरूरत
यलो और रेड जोन में ड्रोन उड़ाने के लिए पायलट को एयर ट्रैफिक कंट्रोल अथॉरिटी और अन्य संस्थाओं से परमिशन लेनी पड़ सकती है. वहीं यलो जोन का दायरा एयरपोर्ट से 45 किमी दूर तक तय किया गया था, जिसे अब घटाकर 12 किमी कर दिया गया है. वहीं ग्रीन जोन में फ्लाइट के लिए परमिशन नहीं लगेगी.


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