एक किलोमीटर चलने पर कितनी लाइट खा जाती है बिजली से चलने वाली ट्रेन, रेलवे को भरने पड़ते हैं इतने पैसे
क्या आप जानतेे हैं कि बिजली से चलने वाली ट्रेन एक घंटे में कितनी बिजली खा जाती है, जिसका रेलवे को भुगतान करना पड़ता है. चलिए आज इस सवाल का जवाब जान लेते हैं.
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भारतीय रेलवे पूरे देश को एक तरह से जोड़ती है. ट्रेनों के जरिए एक साल में लाखों लोग सफर करते हैं. कई लोगों के लिए रोजमर्रा की जिंदगी में ट्रेन में सफर करना शामिल होता है. पहले कोयलो और डीजल से चलने वाली ट्रेनों को इलेक्ट्रिक ट्रेनों में बदल दिया हैै. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर किसी इलेक्ट्रिक ट्रेन में एक घंटे में कितनी बिजली लगती है.
इलेक्ट्रिक ट्रेनों में एक घंटे में लगती है इतनी बिजली
कई बार लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि आखिर रेलवे में चलने वाली इलेक्ट्रिक ट्रेनों में एक बार में कितनी बिजली लगती है, तो बता दें कि एक किलोमीटर चलने में इलेक्ट्रिक इंजन में लगभग 20 यूनिट बिजली की खपत होती है. यदि किसी जगह एक यूूनिट बिजली की कीमत 6.50 रुपये चुकानी पड़ती है तो समझ लिजिए कि कोई एक इलेक्ट्रिक ट्रेन एक किलोमीटर चलती है तो उसे 130 रुपए तक का बिजली का खर्च आएगा.
क्या है इलेक्ट्रिक इंजनों का महत्व
इलेक्ट्रिक इंजन न सिर्फ ईंधन बचाते हैं बल्कि पर्यावरण के प्रति भी एक पॉजिटिव कदम हैैै. इससे न सिर्फ प्रदूषण में कमी आती है बल्कि ऊर्जा खपत को भी नियंत्रण मिलता है. इस कदम से भारतीय रेलवे टिकाऊ विकास की ओर आगे बढ़ा है. साथ ही इलेक्ट्रिक ट्रेनों से पर्यावरण सरंक्षण भी हो रहा है. भारतीय रेलवे इलेक्ट्रिन ट्रेनों को ज्यादा से ज्यादा जगहों पर इस्तेमाल करने की तैैयारी कर रहा है.
भारत में सबसे पहले कब चलाई गई इलेक्ट्रिन ट्रेन
भारत में सबसे पहले 3 फरवरी 1925 को बम्बई वी टी और कुर्ला हारवर के बीच पहली इलेक्ट्रोनिक ट्रेन चलाई गई थी. येे सेक्शन 1500 वोल्ट डी सी पर विद्युतीकृत की गई थी. इस प्रक्रिया में विद्युत मोटरों द्वारा लोकोपायलट ट्रेनों को चलाता है, जिससे ट्रेनें चलती हैं.
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