दिल्ली जैसे महानगर में बढ़ती जनसंख्या और वाहनों की संख्या के कारण पार्किंग की समस्या एक गंभीर मुद्दा बन गया है. सीमित जगह और बढ़ती वाहनों की संख्या के कारण लोगों को पार्किंग के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
अवैध पार्किंग के कारण सड़कें जाम हो जाती हैं और यातायात व्यवस्था बिगड़ जाती है. दरअसल दिल्ली में लाखों वाहन रोज सड़कों पर दौड़ते हैं, लेकिन पर्याप्त पार्किंग स्पेस का अभाव इसे और भी परेशानी भरा बना देता है. सरकारी रिपोर्ट्स और अध्ययन से ये सामने आया है कि शहर में पार्किंग स्पेस की कमी तेजी से बढ़ रही है, और इस समस्या से समाधान के लिए बड़ी प्लानिंग की जरूरत है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर दिल्ली में और कितनी पार्किंग की जरुरत है.
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दिल्ली में मौजूदा समय में कितनी है पार्किंग?
दिल्ली में आजकल कुल 1.5 लाख से ज्यादा पार्किंग स्पेस उपलब्ध हैं, जो खासतौर पर शहरी इलाकों और व्यावसायिक क्षेत्रों में मौजूद है. हालांकि, राजधानी में वाहनों की संख्या इस आंकड़े से कई गुना ज्यादा है. आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में करीब 1.4 करोड़ से ज्यादा वाहन हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है. इसका परिणाम यह है कि कई जगहों पर वाहन सड़क किनारे या अवैध पार्किंग की समस्या पैदा कर रहे हैं, जिससे यातायात पर असर पड़ता है.
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दिल्ली में और कितनी पार्किंग की जरुरत है?
दिल्ली में पार्किंग की जरूरत का अनुमान अलग-अलग रिसर्च और सिटी प्लानिंग रिपोर्ट्स पर आधारित है. यदि दिल्ली को भविष्य में एक व्यवस्थित शहर बनाना है तो इसे लगभग 5 लाख पार्किंग स्थानों की जरुरत होगी. यही नहीं, पार्किंग की यह कमी खासकर सेंट्रल दिल्ली, औद्योगिक क्षेत्रों और खास बाजारों में ज्यादा महसूस होती है. बढ़ते वाहन, छोटे पार्किंग स्थल और अव्यवस्थित पार्किंग से समस्या और बढ़ जाती है.
हालांकि दिल्ली सरकार ने इस परेशानी को खत्म करने के लिए कई प्लानिंग बनाई हैं. मल्टी-लेवल पार्किंग और अंडरग्राउंड पार्किंग जैसी परियोजनाएं शुरू की जा रही हैं, ताकि सड़कों पर कम जगह घेरने वाले पार्किंग स्थल उपलब्ध कराए जा सकें. इसके अलावा, ऑटोमेटेड पार्किंग सिस्टम को लागू करने की योजना भी बनाई गई है, जो ज्यादा पार्किंग क्षमता उपलब्ध कराएंगे. अगर सरकार इन योजनाओं को समय पर लागू करती है, तो अनुमानित रूप से अगले 5 से 7 सालों में पार्किंग की कमी पूरी हो सकती है. हालांकि, इसमें भूमि अधिग्रहण, तकनीकी चुनौती और बुनियादी ढांचे के विकास में समय लग सकता है.
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