Power of Defense Minister: किसी भी देश में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के अलावा उस देश का रक्षामंत्री भी होता है. रक्षा मंत्री का कार्य बाहरी सीमा की सुरक्षा से जुड़ा रहता है. किसी भी देश में सेना की कमांड रक्षामंत्री के पास होता है. रक्षा मंत्री का अन्य मंत्रियों के मुकाबले अलग काम होता है. सेना की मूलत: कमांड राष्ट्रपति के पास होती है, लेकिन जिम्मेदारी के तौर पर रक्षा मंत्री इसकी देखरेख करता है.
खरीद करने का प्रावधान
रक्षा मंत्रालय के प्रमुख रक्षा मंत्री सेनाओं को देश की सुरक्षा के संबंध में उनकी जिम्मेदारी निभाने के लिए नीति संबंधी ढांचा तथा साधन उपलब्ध कराते हैं. सेना में नया क्या बदलाव करना है या फिर किन नई तकनीक का इस्तेमाल किया जाना है. नई मिसाइल, नया लड़ाकू विमान आदि का खरीद करने की जिम्मेदारी भी रक्षा मंत्री की है. इसके अलावा नई रणनीति और सरकार के नए फैसले को लागू करने का हक भी रक्षा मंत्री को होता है.
क्या होती हैं शक्तियां
प्रधानमंत्री और गृह मंत्रालय के बाद सबसे पावरफुल माना जाता है तो वह रक्षा मंत्रालय है. रक्षा मंत्री देश की रक्षा और सुरक्षा के प्रमुख जिम्मेदार होता है. उनका प्रमुख कार्यालय रक्षा मंत्रालय होता है, जो देश के रक्षा और सुरक्षा से जुड़े विभिन्न मामलों का प्रबंधन करता है. ये सरकारी नीतियों को बनाते हैं, सैन्य बजट का भी जिम्मेवारी इनकी ही होती है, हालांकि संसद से जुड़े मुद्दे, बाहरी देशों के साथ रक्षा सहयोग की भी जिम्मेदारी रक्षा मंत्री की होती है.
क्या रक्षा मंत्री दे सकते है युद्ध के आदेश?
अब कई लोगों का ये सवाल भी होता है कि क्या रक्षा मंत्री युद्ध का आदेश दे सकते हैं? रक्षा मंत्री किसी विदेशी से युद्ध के लिए आदेश नहीं दे सकता है. इसके लिए देश के राष्ट्रपति या मौजूदा संसद से इसके लिए मंजूरी होना चाहिए या फिर संसद के अधिकारियों के द्वारा इस पर बात बननी चाहिए उसके बाद ही युद्ध का आदेश दिया जा सकता है. लेकिन अगर कोई विशेष परिस्थिति हो तो रक्षा मंत्री भी पीएम या राष्ट्रपति से बातचीत कर इन चीजों को देख सकते हैं.
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