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ओलंपिक में निशानेबाजों को निशाना साधने के लिए कितना वक्त मिलता है? जानिए क्या है नियम

ओलंपिक 2024 का आज आगाज हो गया है. ओलंपिक के तमाम खेलों में शूटिंग गेम सबसे पुराना खेल है. क्या आप जानते हैं कि एथलीट इस खेल को कैसे खेलते हैं और इसके क्या-क्या नियम होते हैं.

ओलंपिक खेल 2024 का आज यानी 26 जुलाई को फ्रांस की राजधानी पेरिस में आगाज हो गया है. इस बार ओलंपिक खेलों में दुनियाभर के करीब 10,500 खिलाड़ियों ने भाग लिया है. निशानेबाजी ओलंपिक के सबसे पुराने खेलों में एक है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि निशानेबाजी के लिए खिलाड़ियों को कितना समय मिलता है. आज हम आपको निशाने बाजी से जुड़े सभी नियमों के बारे में बताएंगे. 

निशानेबाज

ओलंपिक गेम में निशानेबाजी सबसे पुराने खेलों में एक है. बता दें कि ये 1896 में आयोजित आधुनिक ओलंपिक खेल में शामिल 9 खेल में से एक है. सेंट लुइस 1904 और एम्स्टर्डम 1928 ओलंपिक खेल को छोड़कर अन्य सभी ग्रीष्मकालीन खेलों में शूटिंग शामिल रहा है. वहीं लॉस एंजिल्स 1984 में महिलाओं की स्पर्धा को अलग से ओलंपिक प्रोग्राम में शामिल किया गया था. 
बता दें कि पिछले कुछ सालों में ओलंपिक खेल की शूटिंग स्पर्धा में भारतीय खिलाड़ियों का खेल काफी बेहतरीन रहा है. गौरतलब है कि साल 2004 और साल 2012 के बीच आयोजित लगातार तीन ओलंपिक गेम्स के दौरान भारतीय निशानेबाजों ने चार पदक जीते थे, जिसमें अभिनव बिंद्रा का नाम भी शामिल है. अभिनव बिंद्रा ने बीजिंग 2008 में देश के पहले व्यक्तिगत स्वर्ण पदक विजेता बनने का गौरव हासिल किया था. 

खेल में कौन सी राइफल, पिस्टल और शॉटगन

जानकारी के मुताबिक ओलंपिक की शूटिंग स्पर्धा में तीन तरह की बंदूक (गन) का इस्तेमाल किया जाता है. जिसमें राइफल, पिस्टल और शॉटगन शामिल है. राइफल और पिस्टल स्पर्धाओं में एथलीट इनडोर शूटिंग रेंज में स्थिर टारगेट पर निशाना लगाते हैं, जबकि शॉटगन स्पर्धा का आयोजन आउटडोर में होता है, जहां निशानेबाजों को हवा में फेंके गए लक्ष्यों पर निशाना साधना होता है. वहीं सभी शूटिंग निर्धारित दूरी 10 मीटर, 25 मीटर, 50 मीटर से की जाती है, जिसमें एथलीटों को लक्ष्य को टारगेट करना होता है. 

खेल के प्रकार

राइफल शूटिंग में एथलीट एक निश्चित दूरी पर रखे गए एक ऐसे बोर्ड पर निशाना लगाते हैं, जिसपर 10 कंसेंट्रिक सर्कल बने होते हैं. इस इवेंट को दो अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित किया गया है. पहला 50 मीटर राइफल 3 पोजीशन और 10 मीटर एयर राइफल है. बता दें कि 50 मीटर एयर राइफल में 3 पोजीशन में खिलाड़ी नीलिंग (घुटने पर बैठ कर), प्रोन (जमीन पर लेट कर) और स्टैंडिंग (सीधा खड़ा होकर) पोजीशन में लक्ष्य पर निशाना साधता है. वहीं हर खिलाड़ी 2 घंटे 45 मिनट की तय समय-सीमा में उपर्युक्त तीनों पोजीशन में 40 शॉट फायर करता है. इसके अलावा सबसे अधिक स्कोर वाले 8 शूटर पदक राउंड में प्रतिस्पर्धा करते हैं. इसके अलावा 10 मीटर एयर राइफल में हर एथलीट 1 घंटा 15 मिनट की तय समय-सीमा में 60 शॉट फायर करता है, जिसके बाद शीर्ष 8 शूटर पदक के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं.

पिस्टल शूटिंग स्पर्धा को तीन भाग में बांटा गया है. इसमें 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल, 25 मीटर पिस्टल और 10 मीटर एयर पिस्टल शामिल है. यहां खिलाड़ियों को एक हाथ से बिना किसी सपोर्ट के शूट करना होता है. हालांकि 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल में सिर्फ पुरुष शूटर हिस्सा लेते हैं, जहां निशानेबाजों को आठ, छह और चार सेकेंड की छोटी अवधि में लगातार शॉट फायर करने होते हैं. क्वालिफिकेशन राउंड में 30-30 शॉट्स के दो राउंड होते हैं. वहीं शीर्ष स्कोर वाले आठ निशानेबाज पदक राउंड के लिए क्वालीफाई करते हैं.

इसके अलावा 25 मीटर पिस्टल सिर्फ महिलाओं का इवेंट है. 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल इवेंट की तरह यहां भी 30-30 शॉट के दो क्वालीफाइंग राउंड में होते है. वहीं 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा के नियम 10 मीटर एयर राइफल की तरह ही होते हैं. इसमें पुरुष, महिला और मिश्रित टीम हिस्सा लेती है. एकल कैटेगरी (पुरुष और महिला) में निशानेबाज एक घंटे और 15 मिनट की समय सीमा के भीतर 60 शॉट लगाते हैं, जिसके बाद शीर्ष आठ शूटर पदक राउंड में जगह बनाते हैं. मिश्रित टीम स्पर्धा में टीम का प्रत्येक सदस्य 40 शॉट फायर करता है और पांच शीर्ष स्कोरिंग टीमें फाइनल में प्रतिस्पर्धा करती हैं.

इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण शॉटगन की दो प्रतियोगिताएं होती हैं. इसमें एथलीट 100 किमी प्रति घंटे से अधिक की गति से उड़ने वाली किसी वस्तु पर फायर करते हैं, जिसका व्यास (डायमीटर) सिर्फ 10 सेमी होता है और जिसे 'क्ले' कहा जाता है. इन दोनों स्पर्धाओं में पुरुषों और महिलाओं की प्रतियोगिता शामिल है, जबकि ट्रैप में एक मिश्रित टीम स्पर्धा भी होती है.

स्कीट में पुरुष और महिला दोनों एथलीट आठ अलग-अलग स्थानों से मिट्टी से बने टारगेट पर फायर करते हैं, जिसे शूटिंग की भाषा में 'स्टेशन' के रूप में जाना जाता है. क्ले दो जगहों से उड़ती है, एक बाईं ओर से और दूसरी शूटिंग रेंज के दाहिने छोर से उड़ती है. इन स्थानों को 'हाउस' कहा जाता है.

ये भी पढ़ें: Olympic Games Paris 2024: ओलंपिक के दौरान एथलीट्स को इन चीजों की होती है मनाही, नहीं तोड़ सकते नियम

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