भारत में आम चुनाव 2 महीने चली मतगणना के बाद अब अपने अंतिम पढ़ाव पर आ गया है. कल यानी 4 जून को नतीजों के साथ फिर नई सरकार चुन ली जाएगी. ऐसे में नेताओं सहित आमजन में भी एग्जिट पोल के बाद नतीजों को लेकर बेसब्री है. अब सवाल ये उठता है कि आखिर ईवीएम से मतगणना कैसे होती है, इससे वोट गिनने में कितना समय लगता है, मतगणना करता कौन है और इसके अलावा आखिर एक राउंड की मतगणना कैसे जारी होती है? चलिए जवाब जान लेते हैं.


कितना बड़ा होता है मतगणना का एक राउंड?


मतगणना के दौरान जब 14 ईवीएम में डाले गए मतों की गिनती पूरी हो जाती है तो एक राउंड या एक चक्र की गिनती को पूरा मान लिये जाता है. ऐसे में मतगणना के दिन हर चक्र का नतीजा साथ ही साथ घोषित किया जाता रहता है. जब गणना पूरी हो जाती है तो रिटर्निंग ऑफिसर या आरओ ही लोक प्रतिनिधित्वण अधिनियम-1951 की धारा 66 के उपबन्धों के मुताबिक, नतीजे की घोषणा करते हैं. इसके बाद आरओ की ओर से विजेता प्रत्याशी को जीत का सर्टिफिकेट दिया जाता है.


ऐसे शुरू होती है गिनती


मतगणना तय समय पर शुरू होती है तो सबसे पहले इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट और पोस्टल बैलेट की गिनती सीधे आरओ की निगरानी में शुरू कर दी जाती है. इनके लिए अलग से टेबल की व्यवस्था होती है और सहायक निर्वाचन अधिकारी की नियुक्ति भी की जाती है.


व्यवस्था के मुताबिक, इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट व पोस्टल बैलेट की गिनती शुरू होने के आधे घंटे बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में डाले गए वोटों की गिनती शुरू हो सकती है. हालांकि इसके लिए जरूरी नहीं है कि पोस्टल बैलेट की गिनती पूरी हो गई हो, मतगणना के लिए ईवीएम की केवल कंट्रोल यूनिट का इस्तेमाल किया जाता है. इस प्रक्रिया में बैलेट यूनिट का कोई रोल नहीं होता, यही वजह है कि उनको टेबल पर नहीं रखा जाता. ऐसे में अब सवाल ये उठता है कि एक ईवीएम में पड़े वोटों को गिनने में कितना समय लगता है? तो बता दें कि ये समय ईवीएम में पड़े वोटों के आधार पर तय होता है. ईवीएम से वोट की काउंटिंग में ज्यादा से ज्यादा आधा घंटे का समय लगता है, ऐसे में जब 14 ईवीएम मशीनों की काउंटिंग हो जाती है तो एक राउंड पूरा माना जाता है.                             


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