How Pakistan Became Islamic Republic: साल 1947 में अंग्रेजी हुकूमत का भारत में अंत हुआ था. लेकिन जब अंग्रेज भारत से गए तब भारत के दो टुकड़े हो गए थे. भारत और पाकिस्तान दो अलग नए मुल्क बन चुके थे. भारत से एक दिन पहले पाकिस्तान को 14 अगस्त 1947 को यदि मिली थी. तो वहीं भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद घोषित हुआ था. पाकिस्तान की मांग मुसलमानों के लिए एक अलग देश बनाने को लेकर शुरू हुई थी. लेकिन आजादी के बाद इसे इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान बनने में 9 साल का समय लग गया. चलिए जानते हैं इसकी पूरी कहानी.


आजादी के बाद मिला डोमिनियन दर्जा


भारत में जब अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई चल रही थी. तो इसी बीच देश में एक अलग देश बनाने की मांग उठ गई. मशहूर शायर अल्लामा इकबाल ने साल 1930 में बलूचिस्तान, सिंध, पंजाब और अफगान प्रांत को मिलाकर मुसलमान के लिए अलग देश बनाने की मांग रखी. तो वहीं साल 1933 में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे चौधरी रहमत अली ने इस देश को पाकिस्तान नाम रखने का सुझाव दिया. और बाद में मुस्लिम देश की यह मांग तेज होती गई. फिर इसमें मोहम्मद अली जिन्ना की एंट्री हुई और वह इस मांग के अगुआ बन गए. अंग्रेजो से आजादी के बाद पाकिस्तान को नाम मिला डोमिनियन ऑफ पाकिस्तान.  


9 साल बाद बना इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान


जब पाकिस्तान आजाद हुआ तो मोहम्मद अली जिन्ना अपनी यह कंफ्यूजन दूर नहीं कर पाए कि वह पाकिस्तान को मुस्लिम राष्ट्र बनाना चाहते हैं या लोकतांत्रिक. शुरुआत में पाकिस्तान आजाद हुआ तो ब्रिटिश कामनवेल्थ देश के समूह का हिस्सा बना और डोमिनियन बना रहा. लेकिन साल 1956 में पाकिस्तान का संविधान तैयार किया गया और उसी साल 23 मार्च को पाकिस्तान का नाम बदलकर इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान कर दिया गया.  पाकिस्तान का आधिकारिक धर्म घोषित कर दिया गया.


नाम इस्लामिक है काम संविधान से होता है


भले ही पाकिस्तान इस्लामिक रिपब्लिक घोषित हो गया था. लेकिन पाकिस्तान में कानून संविधान के अनुसार ही चलता है. न कि शरीयत के हिसाब से, पाकिस्तान में सरकार भी संविधान भी के हिसाब से ही चुनी जाती है. देश बनने की मांग भले ही मुस्लिमों के देश के तौर पर शुरू हुई थी. लेकिन पाकिस्तान आज भी पूरी तरह मुस्लिम देश नहीं बन पाया है. 


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