कच्चा तेल जिसे अंग्रेजी मे क्रूड ऑयल और ब्लैक गोल्ड भी कहा जाता है, पूरी दुनिया की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने का एक मुख्य स्रोत है. इसी कच्चे तेल से कई प्रकार के ईंधनों और अन्य उत्पादों का निर्माण किया जाता है. पेट्रोल, डीजल और कैरोसीन जैसी चीजें, इसी से बनती हैं. अब ऐसे में सवाल उठता है कि एक ही तरह के कच्चे तेल से तीन अलग-अलग चीजें पेट्रोल, डीजल और कैरोसीन कैसे बन जाती है. चलिए आज इस आर्टिकल में हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.


पहले समझिए कच्चा तेल कैसे बनता है


जमीन के भीतर से निकलने वाले कच्चे तेल का निर्माण मुख्य रूप से लाखों वर्षों से जमा हुए जैविक पदार्थों से होता है. ये पदार्थ जमीन के भीतर हाई प्रेशर और हाई टेंपरेचर के कारण तेल और गैस में बदल जाते हैं. बाद में इन्हें धरती के भीतर से ड्रिलिंग कर के निकाल लिया जाता है और फिर इसे रिफाइनरी में भेजा जाता है.


रिफाइनिंग प्रक्रिया से बनता है पेट्रोल, डीजल और कैरोसीन


कच्चे तेल से पेट्रोल, डीजल और कैरोसीन यानी मिट्टी का तेल जैसे उत्पाद बनाने की प्रक्रिया को अंग्रेजी में रिफाइनिंग कहा जाता है. रिफाइनिंग प्रक्रिया के दौरान कच्चे तेल को अलग-अलग घटकों में तोड़ा दिया जाता है, जिन्हें हाइड्रोकार्बन कहा जाता है. ये हाइड्रोकार्बन ही अलग-अलग प्रकार के ईंधन और अन्य प्रोडक्ट बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. रिफाइनिंग के लिए अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है. इनमें डिस्टिलेशन, क्रैकिंग, रीफॉर्मिंग और अल्काइलेशन जैसी प्रक्रियाएं शामिल हैं.


पेट्रोल कैसे बनता है


दरअसल, पेट्रोल एक हल्का हाइड्रोकार्बन है जो छोटी कार्बन श्रृंखलाओं से बना होता है. डिस्टिलेशन के दौरान ही कच्चे तेल से पेट्रोल को अलग किया जाता है, फिर इसे अलग-अलग कंपाउंड्स के साथ मिलाया जाता है, ताकि इसकी गुणवत्ता बढ़ सके. इसके बाद ही पेट्रोल बनता है, जिससे हमारी गाड़ियां चलती हैं.


डीजल कैसे बनता है?


डीजल भारी हाइड्रोकार्बन से बनता है. इसे भी डिस्टिलेशन प्रक्रिया से ही बनाया जाता है. डीजल को बनाने के लिए इसे कई बार हाइड्रोट्रीटमेंट किया जाता है ताकि उसमें से सल्फर और दूसरी अशुद्धियों को बाहर निकाला जा सके. इससे यह पर्यावरण के लिए थोड़ा कम हानिकारक बनता है.


कैरोसीन का निर्माण कैसे होता है


कैरोसीन यानी मिट्टी के तेल का निर्माण भी डिस्टिलेशन प्रक्रिया से ही होता है. मिट्टी का तेल डिस्टिलेशन टॉवर में डीजल के ठीक ऊपर इकट्ठा होता है. कैरोसीन मध्य रेंज के हाइड्रोकार्बन से बना होता है.


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