बारिश का मौसम आ गया है, हर जगह मानसून के चलते बारिश हो रही है, ऐसे में यदि आपसे कोई पूछे की बारिश कैसे होती है तो आप कोई नॉर्मल का जवाब दे दोगे, लेकिन जब आपसे कोई बोले कि इस पूरी प्रक्रिया को समझाओ तो शायद आप इसका जवाब न दे पाओ. ऐसे सवाल जब कोई बच्चा पूछता है तो उसके मन में इसके लिए और भी कई सवाल आ जाते हैं. ऐसे में चलिए आज हम बारिश कैसे होती है इसी प्रक्रिया को समझते हैं.


कैसे बादलों में पहुंचता है पानी?


सबसे पहले ये जान लेते हैं कि बादलों में पानी पहुंचता कैसे है. तो बता दें कि पृथ्वी पर पानी के तीन रूप हैं पहला भाप, दूसरा तरल पानी और तीसरा है ठोस बर्फ. जब पानी गर्म होता है तो वो भाप बनकर या गैस बनकर हवा में ऊपर उठता है. जब ऐसी भाप बहुत ज्यादा मात्रा में ऊपर जमा हो जाती है तो वो बादलों का रूप ले लेती है. इस पूरे प्रोसेस को वाष्पीकरण कहा जाता है.


क्या सिर्फ पानी ठंडा होने पर बारिश होती है?


फिर जब बादल ठंडे होने लगते हैं तो गैसीय भाप तरल पानी में बदलने लगती है और जब बादल ज्यादा ठंडे हो जाते हैं तो यही गैसीय भाप बर्फ में बदल जाती है. वाष्प के इसी सघन होने की प्रक्रिया को संघनन कहते हैं, लेकिन बारिश होने के लिए सिर्फ यही काफी नहीं है. बल्कि बादलों में पहले तरल बूंदें जमा होती हैं और ये बूंदें बड़ी बूंदों में बदलती हैं. जब पानी की इन बूंदों का वजन ज्यादा हो जाता है तब कहीं जाकर बारिश होती है. पानी के आसमान से नीचे आने की प्रक्रिया को वर्षण कहा जाता है.


कितने रूप में होता है वर्षण?


वर्षण का कोई एक रूप नहीं होता है. बल्कि ओले गिरना, हिमपात आदि भी वर्षण का ही रूप होता है. जब पानी तरल रूप में न गिर कर ठोस रूप में गिरता है तो उसे हिमपात कहा जाता है. वहीं बारिश के साथ बर्फ के टुकड़े गिरना ओलों का गिरना कहलाता है. इसके अलावा कई जगह सर्दियों में पानी की छोटी छोटी बूंदें भी गिरती हैं जिन्हें हम ओस कहते हैं.


बारिश के हैं अलग-अलग सिस्टम


अब यदि सिर्फ बारिश की बात करें तो बारिश के अलग-अलग सिस्टम होते हैं. जैसे बारिश होती है तो हर जगह नहीं होती या फिर हर जगह एक जैसी नहीं होती. बल्कि पृथ्वी बहुत सारी प्रक्रियाएं हैं जिनके कारण किसी स्थान पर बारिश होती है. इनमें भारत में सबसे जानी मानी प्रक्रिया मानसून है. जिसकी वजह से एक ही इलाके में एक से तीन चार महीने तक लगातार या रुक रक कर बारिश होती है. इसके अलावा कई बार बेमौसम बारिश भी होती है जिसे स्थानीय बारिश कहा जाता है. कई बार समुद्र से चक्रवाती तूफान भी बारिश लाकर तबाही तक ला देते हैं.


इसके अलावा बारिश भी किसी एक वजह से नहीं होती है. समुद्र स्थल से दूरी, इलाके में पेड़-पौधों की मात्रा, पहाड़ों से दूरी, हवा के बहने का पैटर्न और जलवायु के अन्य तत्व मिलकर ये तय करते हैं कि किसी जगह पर बारिश कैसी, किस समय और कितनी होगी.


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