भेड़िया काफी चालाक जानवर माना जाता है. भेड़िए को अगर इंसानी खतरे का अहसास होगा तो वे आस-पास नहीं दिखेंगे. यूपी के बहराइच में आदमखोर भेड़ियों की दहशत से लोग घरों से बाहर निकलने में डर रहे हैं, लेकिन वन विभाग के अधिकारियों ने थर्मल ड्रोन से निगरानी करके चार भेड़िए पकड़े हैं. वहीं, दो अन्य भेड़ियों को पकड़ने की तैयारी जारी है. आज हम आपको बताएंगे कि थर्मल ड्रोन काम कैसे करता है? यह कितना खास है, जिसे अधिकांश ऑपरेशन में इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही, इसकी कीमत से लेकर इस्तेमाल के तरीके आदि के बारे में भी जानकारी देंगे.

  


बेहद चालाक होता है भेड़िया


कुत्ते की तरह दिखने वाला भेड़िया कुत्तों समेत बाकी सभी जानवरों से काफी चालाक होता है. भेड़ियों को इंसानों की गंध सबसे तेज पता चलती है, जिससे वह सतर्क हो जाता है. इतना ही नहीं, भेड़िया अपनी पुरानी गलतियों से सीख लेकर हमेशा झुंड में रहते हुए नई रणनीति बनाता है. यह वजह होती है कि भेड़ियों को पकड़ना बेहद मुश्किल होता है, लेकिन बहराइच में थर्मल ड्रोन के सामने इन भेड़ियों की चालाकी चल नहीं पाई.  




भेड़िए को पकड़ना मुश्किल?


विशेषज्ञों के मुताबिक , भेड़ियों की सूंघने की क्षमता बहुत तेज होती है. ये दूर मौजूद इंसानों की गंध पहचान लेते हैं और सतर्क हो जाते हैं. इतना ही नहीं, भेड़िए अपने साथियों को कभी अकेला नहीं छोड़ते हैं. कहा जाता है कि अगर किसी साथी को कोई शिकार फंसाकर लेकर जाता है तो वे हमला भी कर देते हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह गंध है, जिसके चलते इन्हें पकड़ना मुश्किल होता है. 


क्या है पूरा मसला?


बता दें कि उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के करीब 35 गांवों में काफी समय से भेड़ियों का आतंक है, जिन्होंने नौ लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. आलम यह था कि लोग अपने-अपने घरों से कदम निकालने में भी डरने लगे थे. ऐसे में सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर वन विभाग की 12 टीमों को लगाया गया, जिन्होंने थर्मल ड्रोन की मदद से चार भेड़ियों को पकड़ लिया है. 




क्या है थर्मल ड्रोन?


सबसे पहले जानते हैं कि थर्मल ड्रोन आखिर क्या होता है? दरअसल, ड्रोन तो नॉर्मल होता है, लेकिन उन पर सामान्य कैमरों की जगह थर्मल कैमरे लगा दिए जाते हैं तो इन्हें थर्मल ड्रोन कहा जाता है. बता दें कि थर्मल कैमरों को थर्मोग्राफिक कैमरा या इंफ्रारेड कैमरा भी कहा जाता है. इन्हें चीजों से निकलने वाले हीट रेडिएशन को देखने या डिटेक्ट करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. पारंपरिक कैमरे रोशनी में अच्छी तस्वीरें क्लिक कर पाते हैं, लेकिन थर्मल कैमरे इंफ्रारेड स्पेक्ट्रम में काम करते हैं. इस क्षमता की वजह से थर्मल कैमरों से उन टेम्प्रेचर वैरिएंशंस को भी आसानी से देखा जा सकता है, जिन्हें इंसान अपनी आंखों से नहीं देख सकता. 






कितनी तरह के होते हैं थर्मल ड्रोन?


आइए जानते हैं कि थर्मल ड्रोन कितनी तरह के होते हैं. सबसे पहले कॉम्पैक्ट थर्मल इमेजिंग वाले कैमरे आते हैं, जो बेहद हल्के होते हैं और इन्हें ड्रोन पर फिट करना आसान होता है. आमतौर पर इनका वजन 100 से 500 ग्राम के बीच होता है. बता दें कि FLIR थर्मल कैमरा (Vue Pro) थर्मल ड्रोन कैमरों में बेहद पॉपुलर मॉडल है, जिसका वजन करीब 250 ग्राम है. दूसरे नंबर पर मिड रेंज थर्मल इमेजिंग कैमरे आते हैं, जिनके फीचर्स काफी शानदार होते हैं और इनका रेजॉल्यूशन भी काफी अच्छा होता है. हालांकि, इन कैमरों का वजन 500 ग्राम से 1.5 किलो तक हो सकता है. तीसरे नंबर पर हाई एंड थर्मल इमेजिंग कैमरे होते हैं, जिन्हें एडिशनल फीचर्स और सेंसर्स होते हैं. इन कैमरों को आंधी-बारिश-तूफान और अंधेरे में भी अच्छी तरह इस्तेमाल किया जा सकता है. साथ ही, इनका रिजल्ट भी काफी अच्छा होता है. ये कैमरे 1.5 किलो से 2.5 किलो तक के हो सकते हैं.


कहां मिलता है थर्मल ड्रोन?


तकनीक के इस युग में अधिकांश देशों की सरकारों के पास थर्मल ड्रोन मौजूद हैं. हालांकि, थर्मल ड्रोन में भी कई कैटेगरी होती हैं, जिनका इस्तेमाल अलग-अलग ऑपरेशन में किया जाता है. उदाहरण के लिए सैन्य ऑपरेशन में मौजूद थर्मल ड्रोन में सामान्य थर्मल ड्रोन से काफी अधिक खूबियां होती हैं. 


क्या कोई भी खरीद सकता है ड्रोन?


भारत समेत दुनियाभर के अलग-अलग देशों में ड्रोन को लेकर कई पॉलिसी बनाई गई हैं. जैसे भारत में 250 ग्राम से कम वजन ड्रोन के लिए किसी भी लाइसेंस की जरूरत नहीं है. लेकिन इसके अलावा अलग-अलग कैटेगरी के ड्रोन के लिए लाइसेंस की जरूरत होती है. लेकिन कुछ ड्रोन जो सैन्य बलों से संबंधित हैं, उनकी खरीद-ब्रिकी पर प्रतिबंध है. बता दें कि जैसे भारत में ज़ेन टेक्नोलॉजी डिफेंस ड्रोन बनाने वाली कंपनी है, वैसे ही दूसरे देशों में भी कई ऐसी कंपनियां है, जो सिर्फ सैन्य बलों के लिए ड्रोन बनाती हैं.  




क्या होती है थर्मल ड्रोन की खासियत?


सभी ड्रोनों में अलग-अलग खासियत होती है, जिसके लिए उन्हें जाना जाता है. थर्मल ड्रोन के जरिए काफी ऊंचाई से आपको जमीन पर मौजूद लोगों का थ्रीडी फोटो मिल जाता है. इतना ही नहीं, थर्मल ड्रोन के जरिए यह भी पता चलता है कि बिल्डिंग के अंदर कितने लोग मौजूद हैं. खासकर आतंकी कार्रवाई में ऐसी तकनीक से ऑपरेशन में काफी मदद मिलती है. 


बाजार में नहीं बिकता है थर्मल ड्रोन


बता दें थर्मल ड्रोन में भी कई कैटेगरी होती हैं. इनमें कई ऐसे ड्रोन होते हैं, जिन्हें बाजार में आम लोगों को नहीं बेचा जा सकता है. इनका इस्तेमाल सिर्फ सेना के जवान ही कर सकते हैं. हालांकि, फायर टेस्टिंग के लिए भी रिसर्चर कई बार थर्मल ड्रोन का इस्तेमाल करते हैं.   


आंधी-बारिश-तूफान में मदददार


जानकारी के मुताबिक, थर्मल ड्रोन बारिश और आंधी में भी काफी मददगार होता है. इसके जरिए अमेरिका समेत कई देशों ने बड़े-बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया है. इतना ही नहीं थर्मल ड्रोन बिल्कुल आवाज नहीं करता है, जिससे दुश्मनों को ड्रोन के होने की जानकारी नहीं मिलती है. आज के वक्त सैन्य बलों के जवान सबसे अधिक थर्मल ड्रोन का इस्तेमाल करते हैं. 




आग का भी नहीं होता है असऱ


खास बात यह है कि थर्मल ड्रोन का इस्तेमाल आग लगने वाले क्षेत्रों में भी निगरानी के लिए किया जाता है. दरअसल, इस ड्रोन को नए थर्मल एरोजेल इन्सुलेशन मैटेरियल से बनाया जाता है और इसमें इनबिल्ट कूलिंग सिस्टम होता है. इससे ड्रोन को 200 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को 10 मिनट तक झेलने में मदद मिलती है. 


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