अचानक कातिल कैसे बन गईं गिलहरियां? कर रहीं चूहों का शिकार, इस बदलाव की वजह क्या?
जर्नल ऑफ इथोलॉजी में प्रकाशित स्टडी में कहा गया है कि पहली बार गिलहरियों में हैरान करने वाला परिवर्तन दिखाई दिया. गिलहरियां मांसाहारी बनती जा रहीं थीं और अन्य छोटें जीवों का शिकार कर रही थीं.
Carnivorous Squirrels: आपने गिलहरियां तो देखी ही होंगी. हरे-भरे पार्कों या फिर बागों में इनकी तादात कुछ ज्यादा ही होती है. वैसे तो गिलहरियां इंसानों से काफी डरती हैं, लेकिन इन्हें प्यार से अपना दोस्त बनाया जा सकता है. फल, पत्ती और बीज खाने वाले इस मासूम से जीव को लेकर एक हैरान करने वाली खबर आई है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पेड़ों और जमीन पर फुदकने वाली गिलहरियां मांसाहारी बनती जा रही हैं. वे छोटे जीवों को मारकर खा रही हैं. अमेरिका के कैलिफोर्निया के कुछ पार्कों में ऐसा देखा गया है, जिसके बाद वैज्ञानिक सोच में पड़ गए हैं. उन्होंने इस तरह की घटनाओं को अपने कैमरों में भी कैद किया है, जिनमें गिलहरी के मुंह में चूहे के आकार वाले छोटे जीव वोल को देखा गया है. रिपोर्ट्स में कहा गया है कि गिलहरियां इनका शिकार करके मांस नोंच कर खा जाती हैं.
सामने आई चौंकाने वाली स्टडी
मासूम सी दिखने वाली इन गिलहरियों के बारे में जर्नल ऑफ इथोलॉजी में स्टडी प्रकाशित हुई है. इसके मुताबिक, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया और यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन-ईयू क्लेयर के छात्रों ने 12 साल तक ब्रियोन्स रीजनल पार्क में इन गिलहरियों पर स्टडी की. इस साल की गर्मी में उन्हें पहली बार गिलहरियों में हैरान करने वाला परिवर्तन दिखाई दिया. छात्रों ने देखा कि गिलहरियां मांसाहारी बनती जा रहीं थीं और अन्य छोटें जीवों का शिकार कर रही थीं.
वोल का करती हैं बेरहमी से शिकार
आम तौर गिलहरियां शाकहारी होती हैं और ये कभी छोटे जीवों, कीड़ों या पक्षियों के अंडों पर हमला नहीं करतीं. हालांकि, स्टडी में कहा गया है कि यहां कि गिलहरियों ने चूहे जैसे दिखने वाले जीव वोल को अपना शिकार बनाना शुरू किया और बेरहमी से उनपर हमला किया. गिलहरियां वोट के गर्दन और सिर पर काटती हैं. उन्हें मारकर हड्डियों तक से मांस नोंच कर खा जाती हैं. गिलहरियों में अचानक हुआ यह परिवर्तन हैरान करने वाला था.
वोल की संख्या नियंत्रित करने के लिए हुआ बदलाव
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस पार्क में वोल की संख्या संतुलित रहती है. हालांकि, बीते कुछ सालों में इनकी संख्या काफी अधिक बढ़ गई. ऐसे में वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि गिलहरियों ने खुद का बचाव करने और बढ़ती वोल्स की संख्या को नियंत्रित करने के लिए अपने अंदर ये बदलाव किया और धीरे-धीरे मांसाहारी बन गईं.