Helicopter Facts: जब हमें बचपन में आसमान से उड़ते हुए हेलिकॉप्टर की आवाज सुनाई देती थी तो हम भाग कर बाहर निकलते और हेलिकॉप्टर को तब तक देखते थे जब तक वह दिखाई देना बंद नहीं हो जाता था. उस समय के बारे में तो कह पाना मुश्किल है, लेकिन थोड़ी समझ आ जाने के बाद जब लोग हेलिकॉप्टर को उड़ता देखते हैं तो मन में ये सवाल जरूर आता है कि आखिर इतने वजन वाला यह Helicopter हवा में उड़ कैसे जाता है? और पायलट्स इसे मोड़ते कैसे हैं? आइए आज इन्हीं सवालों के जवाब जानते हैं.


हेलिकॉप्टर एक तरह का एयरक्राफ्ट है, जो उड़ने के लिए रोटेटिंग विंग्स का इस्तेमाल करता है. इन रोटेटिंग विंग्स को ब्लेड्स कहा जाता है. अपने इन्हीं Rotating Blades की मदद से हेलिकॉप्टर वो सब कुछ कर पता है जो हवाई जहाज में करना संभव नहीं है.


कैसे उड़ता है हेलिकॉप्टर?


किसी भी ऑब्जेक्ट को उड़ने के लिए एक Upward Force की आवश्यकता होती है. हेलिकॉप्टर में इस अपवर्ड फोर्स को विंग्स जेनरेट करते हैं. wings, अपवर्ड फोर्स जेनरेट करने के लिए Bernoulli Principle के आधार पर काम करते हैं. Bernoulli’s Principle के अनुसार, जब स्पीड बढ़ती है तो प्रेशर घटता है और जब स्पीड घटती है तो प्रेशर बढ़ता है. इस तरह हवा की स्पीड और हवा का प्रेशर एक दूसरे से संबंधित होता है. विंग्स को कुछ इस तरह से बनाया जाता है कि उनका ऊपर का भाग कर्व्ड रहता है जबकि विंग्स नीचे का भाग फ्लैट होता है. विंग्स का यह शेप अपने ऊपर से गुजरने वाली वायु की गति को, नीचे से गुजरने वाली वायु के मुकाबले बढ़ा देता है, जिससे ऊपर की हवा का प्रेशर कम हो जाता है और नीचे की हवा का प्रेशर बढ़ जाता है. इससे विंग्स को ऊपर उठने में मदद मिलती है.


दूसरी तरफ यहां न्यूटन का मोशन का थर्ड लॉ भी काम करता है. विंग्स आगे से कर्व्ड होने के साथ-साथ पीछे की तरफ झुके हुए भी होते हैं. हवा तेज गति से कर्व्ड सर्फेस से टकराने के बाद तेजी से पीछे नीचे की तरफ जाती है, साथ ही विंग्स के नीचे फ्लैट हिस्से से टकराने वाली हवा भी नीचे की तरफ बहती है. इस तरह से विंग्स से एक डाउनवर्ड फोर्स पैदा होती हैं जो हेलीकॉप्टर के वज़न से अधिक होती है. यह डाउनवर्ड फोर्स विंग्स को ऊपर की तरफ धकेलता है और ऊपर हवा का प्रेशर कम होने की वजह से हेलिकॉप्टर ऊपर उठकर उड़ने लगता है.


हेलिकॉप्टर हवा में दाएं-बाएं या आगे-पीछे कैसे मूव करता है?


किसी भी हेलिकॉप्टर के हवा में दाएं-बाएं या आगे-पीछे चलने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रोटर ब्लेड्स की होती है. पायलट के पास पांच बेसिक मूवमेंट और स्टीयरिंग कंट्रोल होते हैं, जिनमे दो हैंड लीवर्स जिन्हें कलेक्टिव और साइक्लिक पिच कहा जाता है, एक थ्रोट और दो फुट पेडल्स शामिल होते हैं. हेलिकॉप्टर को उड़ाने के लिए इन अलग-अलग कंट्रोल के बीच एक कांप्लेक्स इंटरप्ले शामिल होता है. हेलिकॉप्टर को दाएं-बाएं या आगे-पीछे मूव कराने के लिए, पायलट साइक्लिक पिच में घूमते हुए ब्लेड्स में से चुनिंदा ब्लेड्स के एंगल को बदलता है.


उदाहरण के लिए अगर हेलिकॉप्टर को बाएं तरफ मूव कराना है, तो दाएं तरफ के ब्लेड्स के एंगल को बढ़ा दिया जाएगा, जबकि बाएं तरफ के ब्लेड्स का एंगल कम रखा जाएगा. ऐसे में हेलिकॉप्टर के दाएं तरफ अधिक लिफ्ट पैदा होगा जो ओवरऑल लिफ्ट को झुका देगा और हेलीकॉप्टर बाएं तरफ मूव हो जाएगा. ऐसे ही, आगे की तरफ हेलिकॉप्टर को मूव कराने के लिए फ्रंट में रोटर ब्लेड्स के एंगल को कम करना होगा, जबकि बैक वाले रोटर ब्लेड्स के एंगल को बढ़ाना होगा. इस बैक से थ्रस्ट जेनरेट होगा जो हेलिकॉप्टर को आगे मूव करने के लिए फोर्स करेगा. 


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