आपके केस में सुनवाई कर रहे जज को बदलने की प्रक्रिया आमतौर पर मुश्किल होती है, लेकिन कुछ परिस्थितियों में यह पॉसिबल हो सकता है. भारत में, किसी मामले में जज को बदलने की प्रक्रिया कुछ केस पर निर्भर करती है, इन परिस्थितियों के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं और कई लोगों के मन में उठने वाले सवालों का भी आज अंत हो जाएगा.
इन परिस्थितियों में हो सकता है मुमकि
1. अनुचित बर्ताव या पक्षपाती होने का आरोप: अगर आपको यह लगता है कि जज आपके मामले में भेदभाव कर रहा है या उन्होंने अनुचित व्यवहार किया है, तो आप उच्च न्यायालय से इस बारे में शिकायत कर सकते हैं. इसके बाद उच्च न्यायालय मामले की जांच कर सकता है और जज को बदलने का आदेश दे सकता है, आपको बता दें कि आरोप सही पाए जाने के बाद ही आपके जज को बदला जाएगा. कई मामलों में ऐसे आरोप लगने के बाद जज खुद ही केस से अलग हो जाते हैं.
2. जज अगर अस्वस्थ हो या फिर एबसेंट हो- अगर जज किसी कारणवश उपलब्ध नहीं हैं (जैसे बीमारी, छुट्टी आदि), तो मामले की सुनवाई दूसरे जज के द्वारा की जा सकती है. आवश्यक कानूनी प्रक्रिया का पालन: अगर आपको लगता है कि जज के चयन में कोई कानूनी त्रुटि हुई है, तो आप उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर सकते हैं इसके बाद उच्च न्यायालय मामले की जांच करके आपको राहत पहुंचा सकता है.
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3. न्यायिक सेवानिवृत्ति या स्थानांतरण: कभी-कभी जज के सेवानिवृत्त होने या ट्रांसफर के कारण भी केस का स्थानांतरण हो सकता है. हालांकि, केवल यह आधार पर कि आप जज से असहमत हैं या आप उनके बारे में असंतुष्ट हैं, जज को बदलना संभव नहीं होता. इसके लिए आपको उपयुक्त कानूनी कारण और प्रक्रिया का पालन करना होता है. अगर आपको विशेष स्थिति में जज बदलने की आवश्यकता महसूस हो रही है, तो आपको एक वकील से सलाह लेनी चाहिए, जो आपके केस के आधार पर सही प्रक्रिया का पालन करने में मदद कर सकता है.
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