स्टेट लेवल और नेशनल लेवल पहलवान बनने के लिए क्या-क्या करना पड़ता है? पढ़िए पूरी जानकारी
अगर आपका सपना एक पहलवान बनने का है या बच्चे को बनाने का है तो 6 से 10 वर्ष की आयु के बीच उसकी ट्रेनिंग शुरू करवा देना चाहिए. आइए समझते हैं कैसे आप स्टेट और नेशनल लेवल तक पहुंच सकते हैं.
Wrestling: भारत में कुश्ती मुख्य रूप से ग्रामीण इलाकों का खेल है. अब यह अंतरराष्ट्रीय स्तर का खेल है. दुनियाभर में कुश्ती के कई प्रकार हैं. कुश्ती कई शैलियों में लड़ी जाती हैं. दुनियाभर में जितनी भी कुश्ती की शैलियां हैं, उसमें से सबसे फ्रीस्टाइल कुश्ती है. साक्षी मालिक, विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया भी इस शैली के पहलवान हैं. 1904 के सेंट लुइस समर खेलों में इस खेल ने अपनी शुरुआत ओलंपिक में की. अब ओलंपिक में ग्रीको रोमन कुश्ती के साथ-साथ फ्रीस्टाइल कुश्ती ने भी अपना स्थायी स्थान बना लिया है. कई युवाओं या बच्चों का सपना होता है पहलवान बनने का. यहां हम बताने जा रहे हैं कि कैसे आप एक पहलवान बन सकते हैं और अपनी कड़ी मेहनत व प्रैक्टिस के दम पर स्टेट और नेशनल लेवल तक पहुंच सकते हैं.
बेस्ट अखाड़ा भी बेहद जरूरी
कुश्ती सीखने के लिए सबसे पहला जरूरी काम होता है सही अखाड़े का चयन करना. अखाड़ा चुनते हुए आपको कुछ जरूरी बातों का ख्याल रखना चाहिए. कोई अखाड़ा कितना अच्छा है इसका पता इस बात से चलता है कि वहां से कितने पहलवान नैशनल और इंटरनैशनल लेवल पर मेडल जीते हैं. आप अखाड़े या ट्रेनिंग सेंटर में सीख रहे बच्चों से वहां के माहौल और कोच के बारे में जानकारी ले सकते हैं.
सुविधाओं का स्तर
अच्छे अखाड़े में परंपरागत सहित आधुनिक पहलवानी की भी सारी सुविधाएं होनी जरूरी होती हैं. जैसे कुश्ती के लिए मैट की व्यवस्था, एसी वाले हॉल, जिससे प्रैक्टिस के दौरान ज्यादा पसीना न आए और जल्दी थकावट न हो. लेटेस्ट इक्विपमेंट के साथ वहां जिम भी होना चाहिए.
कोच हैं अहम
अखाड़े में सिखाने वाले कोच पर भी काफी कुछ निर्भर करता है. कोच के पास नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स (NIS) पटियाला से डिप्लोमा होना चाहिए. स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया इसे चलाती है. बहुत-सी जगहों पर पूर्व पहलवान भी कोचिंग देते हैं. जरूरी नहीं कि अच्छा पहलवान अच्छा कोच भी हो. इसलिए एक अच्छा कोच देखकर ही ट्रेनिंग करें.
पुरुष रेसलर की वेट कैटिगरी
1. स्कूल: अंडर-14 में 30 से 60 किलो, अंडर-17 में 42 से 100 किलो, अंडर-19 में 42 से 120 किलो
2. सब-जूनियर (कैडेट) या अंडर-17 में 42 से 100 किलो
3. जूनियर या अंडर-20 में 50 से 120 किलो
4. सीनियर (18 साल से ज्यादा) में 57, 61, 65, 70, 74, 84, 96 और 125 किलो तक वजन होता है.
गर्ल्स कैटिगरी के वेट
1. स्कूल: अंडर-14 में 30 से 60 किलो
2. सब जूनियर (कैडेट) या अंडर-17: 38 से 70 किलो
3. जूनियर (18 से 20 साल): 44 से 72 किलो
4. सीनियर (18 साल से ऊपर): 48, 53, 55, 58, 60, 63, 69 और 75 किलो
स्टेट लेवल पहलवान
अगर आपका सपना एक पहलवान बनने का है या बच्चे को बनाने का है तो 6 से 10 वर्ष की आयु के बीच उसकी ट्रेनिंग शुरू करवा देना चाहिए. ऐसे कोच की तलाश करें, जिसके पास राज्य स्तर या उससे ऊपर के स्तर पर पहलवानों को प्रशिक्षित करने का अनुभव हो. बच्चे को उसकी देख-रेख में ट्रेनिंग के लिए भेजना शुरू करें. कड़ी मेहनत और लागतार प्रैक्टिस में रहने पर अच्छा परफॉर्मेंस आएगा. अलग-अलग प्रतियोगिताओं में भाग लें. कई राज्य हर साल राज्यस्तरीय प्रतियोगिताओं का आयोजन करते हैं. इनमें शामिल हों. इसके लिए जरूरी है कि एक कुश्ती क्लब या टीम में शामिल हों. कुश्ती क्लब या टीम में शामिल होने से आपको अनुभवी कोचों से जान पहचान होगी.
राज्य स्तरीय प्रतियोगिताएं
भारत में कई राज्य स्तरीय प्रतियोगिताएं होती हैं. जैसे, महाराष्ट्र राज्य कुश्ती चैंपियनशिप, उत्तर प्रदेश राज्य कुश्ती चैंपियनशिप, तमिलनाडु राज्य कुश्ती चैंपियनशिप, आंध्र प्रदेश राज्य कुश्ती चैंपियनशिप, कर्नाटक राज्य कुश्ती चैंपियनशिप आदि. गौरतलब है कि ये सभी प्रतियोगिताएं हर साल आयोजित की जाती हैं. इनमें संबंधित राज्य के पहलवान ही भागीदार हो सकते हैं.
नेशनल लेवल
राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं के अलावा, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं भी होती हैं, जिनमें पहलवान भाग ले सकते हैं. ये प्रतियोगिताएं दुनियाभर के पहलवानों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करने और भारतीय राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने का अवसर प्रदान करती हैं. भारत में नेशनल लेवल पर भी कुश्ती की प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है. वरिष्ठ राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप, जूनियर राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप, युवा राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप, सब-जूनियर राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप, कैडेट राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप. ये कई राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में से कुछ हैं जो भारत में आयोजित की जाती हैं.
देश के कुछ नामचीन अखाड़े
चंदगीराम अखाड़ा दिल्ली के सबसे पुराने अखाड़ों में से एक है. हनुमान अखाड़ा भी दिल्ली का पुराना अखाड़ा है. छत्रसाल स्टेडियम अखाड़ा, कैप्टन चांदरूप अखाड़ा, इंदिरा गांधी स्टेडियम, सर छोटू राम स्टेडियम. इनके अलावा दिल्ली में नरेश अखाड़ा, संजय अखाड़ा, बद्री अखाड़ा, गुरू मुन्नी अखाड़ा भी हैं. नोएडा में सर्फाबाद में 3 अखाड़े, बहलोलपुर अखाड़ा, गढ़ी, चौखंड़ी का अखाड़ा, पर्थला खंजरपुर का अखाड़ा, सौरखा. जाहिराबाद का अखाड़ा है. गाजियाबाद के बम्हैटा में 7 अखाड़े, महामाया स्टेडियम में अखाड़ा, लालकुआं पर अखाड़ा है. गुड़गांव में अखाड़े, ताऊ देवीलाल स्टेडियम में हरियाणा के खेल विभाग का ट्रेनिंग सेंटर, बादशाहपुर अखाड़ा, रामअवतार अखाड़ा. वहीं अगर बात मुंबई की करें तो श्री लक्ष्मी नारायण व्यायामशाला, आर्थर रोड, लाल बहादुर शास्त्री व्यायामशाला, माटुंगा, महात्मा फुले अखाड़ा, सार्वजनिक अखाड़ा, जोगेश्वरी कांदिवली में स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया का सेंटर, कोल्हापुर अखाड़ा प्रमुख हैं.
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