देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस (Congress) के दिग्गज नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की संसदीय सदस्यता रद्द कर दी गई है... यानी वह अब पूर्व सांसद हो गए हैं. यह सब कुछ हुआ सूरत की एक कोर्ट के मानहानि केस में दिए गए फैसले की वजह से. दरअसल, सूरत की एक कोर्ट ने मोदी सरनेम पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई है. हालांकि, सजा के तुरंत बाद ही कोर्ट ने उन्हें 1 महीने की जमानत भी दी... लेकिन अब उनकी संसद सदस्यता खत्म हो गई है. कई लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि आखिर ऐसा कैसे हुआ और देश में किसी सांसद की सदस्यता को खत्म करने के लिए क्या कानून हैं? चलिए आपको पूरी बात समझाते हैं.
कब कब रद्द हो सकती है किसी सांसद की सदस्यता
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8(1) और (2) के तहत प्रावधान है, अगर कोई सांसद या विधायक हत्या, दुष्कर्म, धर्म, भाषा और क्षेत्र के आधार पर शत्रुता पैदा करता है या किसी आतंकवादी गतिविधि या संविधान को अपमानित करने जैसे आपराधिक षड्यंत्र में शामिल होता है तो संसद और विधानसभा से उसकी सदस्यता रद्द कर दी जाएगी. इसके अलावा इसी अधिनियम की धारा 8(3) में प्रावधान है कि ऊपर बताए गए अपराधों के अलावा भी अगर किसी अपराध में विधायक या सांसद को दोषी ठहराया गया और उसे 2 वर्ष से अधिक की सजा सुनाई गई तो इस संबंध में विधायक या सांसद की सदस्यता रद्द हो सकती है. इसके साथ ही उसके 6 वर्ष तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध भी लगा दिया जा सकता है. हालांकि, अगर सजा निचली अदालत से मिली है और ऊपरी अदालत से सजा पर रोक लगा दी जाती है तो सांसद या विधायक की सदस्यता नहीं जाएगी.
राहुल गांधी की सदस्यता किसने रद्द की
बहुत से लोगों के मन में ये सवाल उठ रहा होगा कि आखिर राहुल गांधी की सदस्यता किसने रद्द की... कोर्ट ने, संसद ने या फिर चुनाव आयोग ने. तो आपको बता दें ये काम लोकसभा का है. आज लोकसभा सचिवालय ने एक अधिसूचना जारी करके यह जानकारी दी की राहुल गांधी अब संसद के सदस्य नहीं हैं. इस अधिसूचना में बताया गया कि केरल की वायनाड लोकसभा सीट के सांसद राहुल गांधी को सज़ा सुनाए जाने के दिन यानी 23 मार्च, 2023 से उन्हें अयोग्य करार दिया जाता है. ऐसा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 102 (1) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत किया गया है.
राहुल गांधी के साथ अब क्या होगा
फिलहाल राहुल गांधी की संसदीय सदस्यता निचली अदालत के फैसले की वजह से गई है. इसका यह कतई मतलब नहीं है कि राहुल गांधी की सदस्यता वापस नहीं हो सकती. कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी अब गुजरात हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर जा सकते हैं. अगर हाईकोर्ट में निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा गया तो राहुल गांधी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे और अगर सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को रद्द कर दिया तो राहुल गांधी फिर से संसद के सदस्य माने जाएंगे.
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