हज यात्रा के दौरान मौत होने पर कैसे मिलता है डेथ सर्टिफिकेट?
सऊदी अरब की प्रेस एजेंसी की नई रिपोर्ट में कहा गया कि हज के दौरान मौतों का आंकड़ा अब 1301 हो गया है. मृत लोगों में 83 फीसदी ऐसे थे, जो बिना परमिशन हज यात्रा पर पहुंचे थे.
सऊदी अरब में इस बार भीषण गर्मी पड़ रही है. यही वजह है कि वहां हज पर गए काफी लोगों की मौत हो गई. सिर्फ भारतीय नागरिकों की बात करें तो अब तक 60 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है. विदेशी धरती पर मौत की वजह से भारत में रह रहे उनके परिजनों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इसी तरह की एक दिक्कत है मृत लोगों का डेथ सर्टिफिकेट हासिल करना. चलिए आपको बताते हैं कि जब किसी की हज यात्रा के दौरान मौत हो जाए तो उसे कैसे मिलता है डेथ सर्टिफिकेट.
कितने लोगों की हुई अब तक मौत
सऊदी अरब में हज यात्रा के दौरान अब तक 1300 से ज्यादा हजियों की मौत हो चुकी है. सऊदी अरब की प्रेस एजेंसी की नई रिपोर्ट में कहा गया कि हज के दौरान मौतों का आंकड़ा अब 1301 हो गया है. मृत लोगों में 83 फीसदी ऐसे थे, जो बिना परमिशन हज यात्रा पर पहुंचे थे. वहीं मक्का के तापमान की बात करें तो यहां अब तक अधिकतम तापमान 52 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है.
कैसे मिलता है डेथ सर्टिफिकेट
सऊदी अरब की धरती पर अगर हज के दौरान किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाए तो वहां इसके लिए हज संबंधित कानून हैं. इसके अनुसार, अगर हज के दौरान किसी की मौत हो जाए तो सबसे पहले मोनाज्जेम या मोअल्लेम्स जिन्हें आप सऊदी अरब के गाइड के तौर पर भी जानते हैं, की ओर से इसकी सूचना सऊदी स्थित उस देश के हज मिशन को देनी होगी, जहां का वो शख़्स नागरिक है. इसके बाद हज मिशन मृतक की तस्वीर और प्राथमिक सूचनाओं का मिलान अपने डेटाबेस से करता है और उसके पहचान की पुष्टि करता है.
इसके बाद हज मिशन मृतक के परिवार और सऊदी अरब के हज मंत्रालय को इसकी जानकारी देता है. अंतिम में शव की पहचान होने के बाद नजदीकी अस्पताल या मृतक हाजी के देश के हज दफ्तर के चिकित्सा केंद्र से परिजनों को मृत्यु प्रमाणपत्र लेना पड़ता है. इसके अलावा मोअल्लेम कार्यालय भी इसके लिए क्लीयरेंस देता है.
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