पाकिस्तान में कैसे मिलती है नागरिकता, क्या कोई हिंदू भी कर सकता है आवेदन?
भारत की आजादी के साथ ही पाकिस्तान का जन्म हुआ था. पाकिस्तान से आए बहुत नागरिकों को भारत में नागरिकता मिल चुकी है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पाकिस्तान में नागरिकता को लेकर क्या नियम हैं.
दुनियाभर के सभी देशों में नागरिकता पाने के लिए अपने नियम होते हैं. अमेरिका, ब्रिटेन जैसे कई देशों में नागरिकता पाने के लिए काफी सख्त नियम हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में किसी भी नागरिक को कैसे नागरिकता मिलती है और इसके लिए क्या नियम हैं. आज हम आपको पाकिस्तान की नागरिकता से जुड़ा नियम बताएंगे.
पाकिस्तान
भारत को अंग्रेजों से आजादी मिलने के साथ ही 1947 में पाकिस्तान का जन्म हुआ था. आज पाकिस्तान एक इस्लामिक देश है. जहां पर सभी नियम इस्लाम से जुड़े हुए हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पाकिस्तान में किसी नागरिक नागरिकता कैसे मिलती है? क्या कोई हिंदू पाकिस्तानी नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है? आज हम आपको पाकिस्तानी नागरिकता से जुड़ा नियम बताएंगे.
पाकिस्तानी नागरिकता
• पाकिस्तान में नागरिकता मिलने के कुछ नियम और आधार है. जिसके मुताबिक माता-पिता या दादा-दादी पाकिस्तान में पैदा हुए थे और जो 14 अगस्त, 1947 के बाद पाकिस्तान के बाहर किसी देश के स्थायी रूप से निवासी नहीं थे. उन्हें पाकिस्तान की नागरिकता मिल सकती है.
• किसी व्यक्ति जन्म के समय उस व्यक्ति के माता या पिता पाकिस्तान के नागरिक थे.
• जिसके माता-पिता या दादा-दादी उस क्षेत्र में पैदा हुए थे, जो 31 मार्च, 1937 को भारत का हिस्सा था.
• इसके अलावा जो व्यक्ति पाकिस्तान सिटीजनशिप एक्ट, 1951 के लागू होने के बाद पाकिस्तान में पैदा हुआ है, उन्हें पाकिस्तान की नागरिकता मिल सकती है.
• इसके अलावा जो भी शख्स 1 जनवरी, 1952 से पहले पाकिस्तान पहुंचा है, उन सभी लोगों को पाकिस्तान की नागरिकता मिल सकती है.
क्या पाकिस्तानी को मिल सकती दो देशों की नागरिकता
बता दें कि अगर कोई व्यक्ति पाकिस्तान की नागरिकता के साथ किसी और देश का नागरिकता चाहता है, तो पाकिस्तानी नियमों के तहत ऐसा नहीं हो सकता है. वहीं अगर कोई शख्स किसी दूसरे देश की नागरिकता हासिल करना चाहता है, तो उससे पाकिस्तान की नागरिकता वापस ले ली जाएगी. इसके अलावा अगर पाकिस्तान के बाहर रह रहे व्यक्ति से उसकी पाकिस्तानी नागरिकता वापस ले ली जाती है, तो उसकी संतान भी पाकिस्तान नागरिकता नहीं मिलेगी. हालांकि अगर संतान 21 साल की आयु होने के एक साल के भीतर पाकिस्तान की नागरिकता फिर से शुरू करने की इच्छा रखता है, तो नागरिकता दी जा सकती है.
जम्मू-कश्मीर के प्रवासी
इसके अलावा ग्लोबल सिटीजनशिप ऑब्जर्वेटरी की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के नागरिकता कानून में जम्मू-कश्मीर के प्रवासियों को लेकर भी नियम दिए हुए हैं. इसके तहत पाकिस्तान में आए जम्मू-कश्मीर के प्रवासियों को तब तक पाकिस्तान का नागरिक माना जाएगा, जब तक कि पाकिस्तान के साथ कश्मीर का संबंध परिभाषित नहीं हो जाता है. इसके अलावा जो कोई भी पाकिस्तान सिटीजनशिप एक्ट के तहत पाकिस्तान का नागरिक है, उसके पास कॉमनवेल्थ के नागरिक का स्टेटस भी होगा. बता दें कि पाकिस्तान केवल अपने नागरिकों को धर्म की स्वतंत्रता प्रदान करता है, जबकि भारत में यह स्वतंत्रता विदेशियों को भी दी गई है.