गंध का हमारी लाइफ में बहुत महत्वपूर्ण रोल होता है. कई ऐसी चीजें हैं, जो हमें सूंघकर ही पता चलती हैं. कई बार तो गंध कई हादसों को रोकने में भी मददगार होती है. जैसे, घर में अगर कहीं बिजली की वायर ओवरहीट हो रही हो तो उससे स्मेल आने लगती है. जिससे समय पर एक्शन लेकर कई बार बड़े हादसे टल जाते हैं. लेकिन कुछ गंध ऐसी होती हैं, जो हमें पसंद होती हैं. जैसे बारिश के बाद आने वाली गंध, पेट्रोल की खुशबू, यहां तक की कुछ लोगों को किताबों की स्मेल भी अच्छी लगती है. क्या आपने कभी सोचा है कि ये स्मेल हमें अच्छी क्यों लगती हैं?
आयोडेक्स, नेल पॉलिश और थिनर में गंध
कुछ लोग आयोडेक्स, नेल पॉलिश और थिनर जैसी चीजें भी सूंघते हैं. अब सवाल आता है कि जहां कुछ लोगों को ऐसी चीजों की गंध अच्छी नहीं लगती, वहीं कुछ लोगों को इनमें क्या पसंद आता है. ऐसा क्यों है कि जो गंध किसी के लिए दुर्गंध है, वो किसी को अच्छी लगती है? आइए समझते हैं स्मेल के पीछे का विज्ञान.
ऐसे होता है सुगंध और दुर्गंध का निर्णय
रेचल एस हर्ज ने अपनी किताब The Scent of Desire में लिखा है कि कोई भी स्मेल अच्छी या बुरी नहीं होती, बल्कि हम अपने सूंघने के एक्सपीरियंस के हिसाब से उसे अच्छा या बुरा मान लेते हैं. कोई भी स्मेल हमें अच्छी या बुरी तभी लगती है जब हम उसे इमोशनली धारण करते हैं. जब तक हम उसे इमोशंस के आधार पर नहीं तौलते, वह हमारे लिए एक आम गंध ही रहती है.
किताब का कहना है कि कुछ स्मेल्स हमें सिर्फ इसलिए पसंद आ जाती हैं, क्योंकि वो हमें पॉजिटिव फील देती हैं. ये पॉजिटिव फील किसी को चमड़े की स्मेल, नए कपड़ों की स्मेल, किताबों की स्मेल आदि से मिल सकती है.
कई लोगों को अजीब स्मेल्स भी पसंद आ जाती हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उनमें कोई खराबी है. बल्कि, एक ही खुशबू को हर किसी का दिमाग अलग-अलग तरह से समझता है. इसलिए कुछ लोगों के लिए जो गंध दुर्गंध होती हैं, वहीं कुछ को सुगंध लगती है.
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