How to Open Train Coach Door: रेल से सफर हम सभी ने किया है. सफर के दौरान आपको बहुत से ऐसे लापरवाह लोग भी देखने को मिले होंगे जो दरवाजे पर लटककर या बैठकर सफर करते हैं. हालांकि, रात के समय यही दरवाजे अधिकतर बंद मिलते हैं. रात में ट्रेन में चढ़ते समय अधिकतर आपको दरवाजे बंद मिलते हैं. कई बार तो ऐसा भी होता है कि यात्री दरवाजा खोलने की खूब कोशिश करते हैं, वो पीटते रहते हैं लेकिन तब भी दरवाजा नहीं खुलता है. ऐसे में यात्री हताहत हो जाते हैं. आइए आज जानते हैं कि अगर कभी आपके साथ ऐसा हो तो आपको ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए? ट्रेन के दरवाजे को बंद करने के कितने तरीके हैं और इन्हें बाहर से कैसे खोला जा सकता है? 


दो तरीके से बंद होता है दरवाजा


रेल के कोच के दरवाजों को दो तरीकों से बंद किया जा सकता है.
डोर हैंडल : यह दरवाजे में नीचे के तरफ ही होता है. इससे दरवाजे को बाहर या अंदर दोनों तरफ से खोला जा सकता है. दरवाजे में यह दोनों ओर होता है. इसीलिए दरवाजा अगर केवल डोर हैंडल से बंद किया गया है तो आप बाहर से भी इसे आसानी से खोल सकते हैं.


डोर लैच : यह लॉक दरवाजे में सिर्फ अंदर की तरफ ही होता है. इसे अंदर से ही लगाया जाता है और सिर्फ अंदर से ही इसे खोला जा सकता है. इस लॉक सिस्टम में लोहे की एक मजबूत पट्टी एक खाँचे में जा कर लैच बैठ जाती है. जिसे अंदर से ही कोई खोल सकता है. ऐसी स्थिति में आप दरवाजे को बाहर से नहीं खोल सकते हैं.


दो लॉक किसलिए?


अब सवाल यह उठता है कि रेल के डिब्बे में ये दो-दो लॉक देने के पीछे की वजह क्या है. दरअसल, इसका मूल कारण यह है कि रेल के डब्बे का दरवाजा लगभग 1 क्विंटल (100 किलो) से भी ज्यादा भारी होता है और बंद रहने की अवस्था मे इस पर काफी झटके लगते हैं. इन्हे सहने के लिए वजनी भारी भरकम डोर हैन्डल का होना जरूरी है. यदि दरवाजे में केवल डोर लैच लगाया जाए तो वह सफर के दौरान लगने वाले ये झटके सह नही आएगा और टेढ़ा हो जाएगा, जिससे दरवाजा खुलेगा नहीं.


दूसरा कारण यह भी है कि डोर लैच को बाहर से नहीं खोला जा सकता है. इस तरह दो-दो लॉक होने से यात्रियों की सुरक्षा भी बढ़ जाती है. आम तौर पर डोर लैच और डोर हैंडल दोनों का प्रयोग एक साथ ही किया जाता है. इस स्थिति में बंद दरवाज़े को बाहर से नही खोला नहीं जा सकता है. एसी कोच में यात्रियों की सुविधा के लिए कोच अटेंडेंट होते हैं. जरूरत पड़ने पर ये दरवाजे खोल और बंद कर देते हैं. फिर भी अगर कभी आपके साथ ऐसा होता है तो इसकी जानकारी स्टेशन पर दें.


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