हजारों फीट हवा में होता है प्लेन, फिर भी आसानी से होता है टॉयलेट का इस्तेमाल, क्या है इसके पीछे कारण
लोगों के मन में सवाल जरूर आता होगा कि प्लेन हवा में हजारों फिट की ऊंचाई पर उड़ता है. लेकिन बावजूद इसके प्लेन में टॉयलेट का इस्तेमाल बड़ी ही आसानी के साथ हो जाता है आखिर क्या है इसके पीछे के साइंस.
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आप में से बहुत से लोगों ने प्लेन में यात्रा की होगी. तो वही आप में से बहुत से लोग प्लेन में यात्रा करना चाहते होंगे. आमतौर पर लोग प्लान की यात्रा इसलिए भी नहीं कर पाए क्योंकि उसके टिकट थोड़े से महंगे होते हैं. कुछ लोग प्लेन में कभी जा नहीं पाते. ऐसे में लोगों के मन में सवाल जरूर आता होगा कि प्लेन हवा में हजारों फीट की ऊंचाई पर उड़ता है. लेकिन बावजूद इसके प्लेन में टॉयलेट का इस्तेमाल बड़ी ही आसानी के साथ हो जाता है आखिर क्या है इसके पीछे की वजह. चलिए जानते हैं.
कहां जाता हैं टाॅयलेट का वेस्ट?
प्लेन में जब कोई व्यक्ति टॉयलेट का इस्तेमाल करता है. तो उसका वेस्ट कहां जाता है. अगर कोई यह सोचता है कि हवा में नीचे छोड़ दिया जाता. तो बता दें ऐसा बिल्कुल नहीं होता. हवाई जहाज के टॉयलेट इस्तेमाल करने के बाद फ्लश के पानी साफ नहीं होता. बल्कि वैक्यूम सिस्टम से साफ होता है. इस प्रक्रिया से वेस्ट को पानी से अलग किया जाता है. इसके लिए प्लेन में एक टैंक भी लगाया जाता है. जहां जाकर यह स्टोर होता है. इसके बाद जब प्लेन एयरपोर्ट पर उतरता है. तब इस टैंक को खाली कर दिया जाता है.
बदबू से बचने के लिए इस्तेमाल होता है ब्लू केमिकल
प्लेन के टॉयलेट को इस्तेमाल करने के बाद जब उसे फ्लश किया जाता है. तो वेस्ट प्लेन में लगे टैंक में चला जाता है. उस टैंक में एक ब्लू केमिकल भी होता है. जिसकी वजह से टॉयलेट का वेस्ट जमा होने के बाद भी बदबू नियंत्रित रहती है. ज्यादा वेस्ट इसलिए भी इकट्टा नहीं होता. क्योंकि लोग प्लेन में छोटी दूरी की यात्रा करते हैं. तो ऐसे में वह टॉयलेट जाना अवॉइड करते हैं. लेकिन लंबी दूरी की यात्राओं पर टैंक में काफी वेस्ट इकट्ठा हो जाता है. जिसे खाली करने के लिए एयरपोर्ट पर कर्मचारियों की भी सहायता लेनी पड़ती है.
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