World Wind Day: धरती पर कैसे पैदा हुई थी हवा और ऑक्सीजन? ये है सही जवाब
आज पूरी दुनिया विश्व वायु दिवस सेलिब्रेट कर रही है, ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर पृथ्वी पर वायु आई कहां से और कैसे इसकी शुरुआत हुई थी?
World Wind Day 2024: दुनियाभर में 15 जुलाई विश्व वायु दिवस के रूप में सेलिब्रेट की जा रही है. 2007 में इसे पहली बार सेलिब्रेट किया गया था. वायु हमारे जीवन का मुख्य अंग है लेकिन कम ही लोग इसके महत्व के बारे में सोचते हैं. ऐसे में क्या कभी आपके मन में ये विचार आया है कि आखिर धरती पर ऑक्सीजन पैदा कैसे होती है और हवा का जन्म कैसे हुआ? चलिए आज इस खास मौके पर ये जानते हैं.
धरती पर कैसे पैदा हुई हवा?
यदि आज पृथ्वी पर जीवन संभव न हो तो शायद कोई जीवित ही न रह पाए, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि पृथ्वी पर हमेशा से ऑक्सीजन मौजूद नहीं थी. बल्कि कुछ घटनाओं के बाद धरती पर ऑक्सीजन बनना शुरू हुआ था.
ब्रिटेन के इंपीरियल कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने कुछ सालों पहले एक रिसर्च की थी, जिसमें दावा किया गया था कि आज से लगभग 3.6 अरब साल पहले पृथ्वी पर पहली बार ऑक्सीजन का निर्माण होना शुरू हुआ था. इससे पहले तक वैज्ञानिक मान रहे थे कि पृथ्वी पर ऑक्सीजन का निर्माण साइनोबैक्टीरिया कर रहे थे. हालांकि नई रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ कि पृथ्वी पर इन सूक्ष्म जीवों की मौजूदगी से लगभग एक अरब साल पहले ही हमारी पृथ्वी पर ऑक्सीजन बनने की शुरुआत हो गई थी. वैज्ञानिक लगातार ऐसा इसलिए भी कर रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि सूक्ष्म जीवों की प्रजाति पृथ्वी पर पहले से ही थी इसलिए अलग-अलग जीवों की उत्पत्ति हो रही थी. फिलहाल धरती पर ऑक्सीजन दो तरह से बनती है पहला प्रकाश और दूसरा संश्लेषण.
धरती पर कैसे बनती है हवा?
सबसे पहली बात, हम सब जानते हैं कि हमारी पृथ्वी, गैस के अणुओं की परतों से घिरी हुई है, जिसे वायुमंडल कहा जाता है. इसमें मुख्य रूप से नाइट्रोज, ऑक्सीजन, हीलियम, नियॉन, मीथेन और कार्बनडाई ऑक्साइड जैसी गैसें होती हैं. वायुमंडल पृथ्वी की सतह से लगभग 320 किलोमीटर की ऊंचाई तक मौजूद है. जब इन गैसों के अणु गति पकड़ते हैं तो उसे ही हवा कहा जाता है. हवा धरती पर अरबों सालों से मौजूद है.
अब सवाल ये उठता है कि हवा चलती कैसे है? तो बता दें कि सूर्य पृथ्वी की सतह को गर्म करता है तो इससे वायुमंडल भी गर्म हो जाता है. जहां पर सीधी सूर्य की किरणें पड़ती हैं वो हिस्से गर्म हो जाते हैं, वहीं जहां सूर्य की किरणें तिरक्षी पड़ती हैं वो जगह ठंडी होती हैं. अब जिस हिस्से पर किरणें तेज आएंगी तो वहां की सतह गर्म होने के साथ ही, हवा भी गर्म हो जाती है. ये गर्म हवा ठंडी हवा की अपेक्षा हल्की होती है, यही वजह है कि ये ऊपर उठती जाती है और फैलने लगती है. इसकी जगह लेने के लिए ठंडी हवा नीचे आती है. ये जितनी तेज नीचे आएंगी हवा उतनी ही तेज चलेगी.
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