Human Brain: अक्सर इंसानों और बंदरों (Human And Monkey) की आपस में तुलना होती है. इस तरह की तुलना किया जाना बहुत आम है. इसकी मुख्य वजह वानरों का हमारा पूर्वज (Ancestor) होना है. चिम्पैंजी (Chimpanzee) या गोरिल्ला (Gorilla), सभी प्रकार के बंदरों को इंसानों का सबसे करीबी प्राइमेट संबंधी माना जाता है. इंसानों और बंदरों में कई समानताएं दिखने की वजह से इन दोनों के दिमाग (Brain) पर कई शोध भी किए गए. ऐसी ही एक रिसर्च में इस विषय पर भी हुई थी कि आखिर इंसान का दिमाग (Human Brain) बंदरों के दिमाग से बड़ा क्यों होता है. जिसमें काफी दिलचस्प जानकारी सामने निकल कर आई.
इंसानों में होता है मॉलिक्यूलर स्विच
इंसानों का दिमाग, बंदरों के दिमाग की तुलना में बड़ा होता है. गार्जियन साइंस (Guardian Science) में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने एक शोध में इसका रहस्य पता किया. जिसके लिए उन्होंने इंसानों के साथ-साथ चिम्पैंजी और गोरिल्ला के दिमाग की कोशिकाएं भी इकट्ठा की थीं. फिर उन्हें लैब में विकसित कराया गया. जिसके बाद वैज्ञानिकों को पता चला कि इंसानों के शरीर में एक मॉलिक्यूलर स्विच (Molecular Switch) होता है, जिसके दबने पर उनके दिमाग सहित शरीर के कई अन्य अंग बंदरों के अंगों की तुलना में तीन गुना ज्यादा बड़े हो जाते हैं.
खत्म हो जाता है इंसानों का स्विच
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी (Cambridge University) के मेडिकल रिसर्च काउंसिल लैबोरेटरी की डेवलपमेंटल बायोलॉजिस्ट डॉ. मैडेलिन लैंकास्टर के अनुसार, इंसानों के अंदर मौजूद मॉलिक्यूलर स्विच के दबने पर उनके शरीर के अंग बंदरों की तुलना में तीन गुना ज्यादा बड़े हो जाते हैं. यही कारण है कि इंसानों का दिमाग भी वानरों की तुलना में बड़ा हो जाता है. अंगों के विकसित होने के बाद इंसानों में यह स्विच निष्क्रिय यानी बंद हो जाता है, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि वानरों में इसे फिर से जगाया जा सकता है.
इंसानी दिमाग नहीं किसी पहेली से कम
किसी भी जीव, खासतौर पर इंसानों के दिमाग के बारे में वैज्ञानिकों को अभी बहुत कुछ जानना बाकी है. एक स्वस्थ और वयस्क इंसान के दिमाग का आकार 1500 घन सेंटीमीटर तक हो जाता है. जबकि, चिम्पैंजी का दिमाग 400 घन सेंटीमीटर, तो वहीं गोरिल्ला का दिमाग 500 घन सेंटीमीटर तक का होता है.
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