Human Compositing: आपने अभी तक कई तरह की खादों में बारे में सुना होगा. लेकिन आज हम आपको जिस खाद के बारे में बताएंगे उसे सुनकर शायद आप हैरान हो जाएं. आज हम आपको इंसानों से खाद बनाने वाले तरीके के बारे में बताएंगे. सुनने में यह थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन दुनिया के कई हिस्सों में मुर्दा इंसानों से खाद बनाने का तरीका जोर पकड़ रहा है. शव को खाद में बदलने के इस तरीके को ह्यूमन कम्पोजिटिंग नाम दिया गया है. यह सुनने के बाद आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि ऐसा करने की नौबत क्यों आई? इंसानी शव से खाद कैसे बनेगी और इसमें कितना समय लगेगा? दुनिया के कई देशों में यह काम शुरू भी हो चुका है. आइए जानते हैं ऐसा क्यों किया गया.


अमेरिका में ह्यूमन कंपोजिटिंग की शुरुआत हो चुकी है. न्‍यूयॉर्क में अंतिम संस्‍कार के इस इको-फ्रेंडली तरीके को मंजूरी दी जा रही है. इंसानों के शव से बनी खाद का इस्‍तेमाल खेती-बाड़ी के लिए किया जा रहा है. साइंस न्‍यूज की रिपोर्ट के अनुसार, इंसानों शव का दाह संस्‍कार करने में पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. इससे पर्यावरण में कई जहरीले केमिकल मिल जाते और कार्बन-डाई ऑक्‍साइड की मात्रा भी बढ़ जाती है. 


शव को खाद में कैसे बदलते हैं?


ह्यूमन कंपोजिटिंग में शरीर को खाद में बदलने के लिए उसे एक खास प्रक्रिया से गुजारा जाता है जिसे नेचुरल ऑर्गेनिक रिडक्शन कहते हैं. इसमें सूक्ष्‍मजीव शव को बेहद बारीक हिस्‍सों में तोड़ देते हैं. शव को एक चैम्‍बर में रख दिया जाता है. फिर इसमें लकड़ी के चिप्‍स, पुआल और जैविक मिश्रण डाल दिया जाता है. जैविक मिश्रण में मौजूद सूक्ष्‍मजीव शरीर को नष्ट कर देते हैं और 30 दिन के अंदर शव उपजाऊ खाद में बदल जाता है.


कितनी सुरक्ष‍ित है यह खाद?


इस सवाल पर विशेषज्ञों का कहना है कि इंसान के शव को ऐसी प्रक्रिया से गुजारा जाता है, जिसमें रोगों को बढ़ावा देने वाले सूक्ष्‍मजीव नष्‍ट हो जाते हैं. हालांकि, 30 दिन की इस प्रकिया के बाद भी संक्रमण फैलने के खतरे से पूरी तरह से खत्म नहीं होता है. अमेरिका में वॉशिंगटन 2019 में ह्यूमन कंपोस्टिंग को मंज़ूरी देने वाला पहला राज्‍य था. इसके बाद कैलिफोर्निया, कोलोराडो, वर्मोंट, ओरेगन और न्यूयॉर्क में भी इसकी शुरुआत हुई.


इन समस्याओं से मिलेगा छुटकारा


शव से खाद बनाने का तरीका अमेरिका की एक पुरानी समस्‍या को हल करने का काम करेगा. अमेरिका में लगभग 10 लाख एकड़ जमीन श्मशान घाट के लिए सुरक्षित रखी गई है. इस जमीन न तो पौधे उगाने के काम में लिया जा सकता है और न ही इसपर वन्‍य जीवों को शरण दी जा सकती है. वहीं, हर साल तकरीबन 40 लाख एकड़ जंगल, ताबूत और शव को रखने वाले संदूक बनाने के लिए नष्ट हो जाता है. इसके अलावा शव पर लगाने के लिए 8 लाख गैलन लेप का इस्‍तेमाल होता है. इस तरह ह्यूमन कंपोस्टिंग के अपनाकर इन सभी समस्याओं का समाधान मिल रहा है.


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