Firecracker on Diwali 2022: प्रदूषण को रोकने के लिए राज्यों ने पूरी तैयारी कर ली है. इस दिवाली पटाखों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए कुछ राज्यों में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है तो कहीं सिर्फ ग्रीन पटाखों को जलाने के लिए ही परमिशन दी गई है. कुछ राज्यों ने तो पटाखे जलाने के लिए समय सीमा भी तय कर दी है. यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि भारत में पटाखे जलाने को लेकर अलग अलग राज्यों में क्या नियम हैं.
राजस्थान में दो घंटे जला सकेंगे ग्रीन पटाखे
राजस्थान की राज्य सरकार ने प्रदेश में पटाखे जलाने को लेकर अपना फैसला सुनाया है. उन्होंने कहा है कि एनसीआर एरिया से अलग अन्य जिलों में दीपावली पर दो घंटे (रात 8 से 10 बजे तक) के लिए ग्रीन पटाखों को जलाया जा सकता है. गृह विभाग की तरफ से जारी आदेशों में क्रिसमस और नववर्ष पर रात 11.55 से रात 12.30 बजे, गुरु पर्व पर रात 8 से रात 10 बजे तक तथा छठ पर्व पर सुबह 6 से सुबह 8 बजे तक ग्रीन पटाखे चलाने की अनुमति दी गई है. बता दें कि कुछ दिन पहले प्रदूषण और कोरोना मरीजों को होने वाली दिक्कतों की वजह से सरकार ने राज्य में 1 अक्तूबर 2021 से 31 जनवरी 2022 तक इनके विक्रय व उपयोग पर रोक लगा दी थी.
पटाखों पर पूरी तरह से रोक वाले राज्य
देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण को देखते हुए दिवाली पर पटाखे जलाने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने दिल्ली में पटाखा बेचने और जलाने पर रोक लगा दी है. ये प्रतिबंध जनवरी 2022 तक लगा रहेगा. हरियाणा और ओडिसा सरकार ने भी पटाखों पर रोक लगा रखी है. चंडीगढ़ यूटी प्रशासन लगातार दूसरे साल पटाखों पर रोक लगा रहा है. इसके साथ ही, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, सिक्किम में भी पिछले साल पटाखों पर प्रतिबंध का ऐलान किया था. दूसरी तरफ महाराष्ट्र सरकार ने भी एसओपी जारी करते हुए पटाखे न जलाने की अपील की है.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने एक सप्ताह पहले कहा था कि हमने पटाखों पर रोक को लेकर जो आदेश पारित किया है, उसका हर राज्य पालन करें. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि वह त्यौहार के खिलाफ नहीं है, लेकिन इंसान की जिंदगी को खतरे में डालकर उत्सव करने की छूट नहीं दी जा सकती है. त्यौहार फुलझड़ी जलाकर या बिना शोर के भी मनाया जा सकता है.
NGT भी नोटिस कर चुकी है जारी
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 4 नवंबर 2020 को कर्नाटक और तमिलनाडु के साथ 18 राज्यों को पटाखों पर रोक लगाने के लिए नोटिस जारी किया है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के रिकॉर्ड के मुताबिक, एनजीटी ने कहा है कि इन राज्यों के 122 शहरों में हवा की गुणवत्ता अनुकूल लाइन से नीचे है. एनजीटी के इस नोटिस के बाद दिल्ली के साथ 6 राज्यों ने अपने यहां पर नवंबर में पटाखे जलाने पर पूरी तरह से रोक लगा दी है.
इन पटाखों पर लगाया है प्रतिबंध
- लड़ियों और सांप की टिकिया पर रोक लगी है.
- आर्सेनिक, लिथियम, लेड, मरकरी, बेरियम और एल्युमिनियम वाले पटाखों पर रोक लगी हैं.
सामान्य पटाखे क्यों खतरनाक?
सामान्य पटाखों के जलाने पर भारी मात्रा में नाइट्रोजन और सल्फर डाई ऑक्साइड गैस निकलती हैं, जो मनुष्यों के शरीर के लिए हानिकारक होती हैं. पटाखों से सबसे ज्यादा नुकसान उन बुजुर्ग लोगों को होता है, जो एक तरफ बुढ़ापे का मार झेलते हैं और दूसरी तरफ बीमारियों से घिरे होते हैं. गर्भवती महिलाओं के लिए तो पटाखे किसी खतरनाक हथियार से कम नहीं हैं. पटाखों की स्मॉग से सांस फूलने, घबराहट, खांसी, हृदय और फेफड़े संबंधी दिक्कतें, आंखों में संक्रमण, दमा का अटैक, गले में संक्रमण आदि के खतरे बढ़ जाते हैं.
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