क्या 21 ग्राम की होती है इंसान की आत्मा? जानिए जब इस पर रिसर्च हुआ तो क्या निकला
इस एक्सपेरिमेंट के चीफ डॉक्टर डंकनडॉगल के मुताबिक, जिन छह मरीजों पर एक्सपेरिमेंट चल रहा था उनमें से एक मरीज का वजन मौत के पहले और मौत के बाद बदल गया था. यह अंतर लगभग 21 ग्राम का था.
आत्मा क्या होती है यह शरीर में कैसे प्रवेश करती है और शरीर से कैसे बाहर निकल जाती है आज तक इस पर विज्ञान कोई ठोस प्रमाण नहीं ला सका है. हालांकि, एक रिसर्च में यह जरूर साबित करने की कोशिश की गई थी की आत्मा का भी एक वजन होता है. सनातन धर्म और दुनिया के तमाम मजहब और पंथ कहते हैं कि आत्मा कभी नहीं मरती वह हमेशा जिंदा रहती है. बस समय के साथ वह शरीर बदल देती है. लेकिन विज्ञान इस थ्योरी को मानने से इनकार करता है उसका मानना है कि जो भी चीज इस दुनिया में है उसका अंत निश्चित है. खैर, अब हम लौट आते हैं उस रिसर्च पर और आपको उसके बारे में बताते हैं.
कब हुआ था रिसर्च
यह रिसर्च साल 1909 में डंकनडॉगल नाम के एक डॉक्टर ने अपने चार साथियों के साथ मिलकर किया था. इस एक्सपेरिमेंट में उन्होंने कुछ इंसानों का वजन किया जो मृत्यु के बेहद करीब थे, यानी जिनके बारे में पता था कि आने वाले कुछ समय में मर जाएंगे. इसके बाद जब उनकी मृत्यु हो गई तो उनका वजन फिर से किया गया. इस दौरान वैज्ञानिकों को एक हैरान कर देने वाली बात पता चली. दरअसल, इस एक्सपेरिमेंट के चीफ डॉक्टर डंकनडॉगल के मुताबिक, जिन छह मरीजों पर एक्सपेरिमेंट चल रहा था उनमें से एक मरीज का वजन मौत के पहले और मौत के बाद बदल गया था.
यह अंतर लगभग 21 ग्राम का था. यानी की मौत के पहले इस व्यक्ति का जितना भी वजन था मौत के बाद उसके वजन में 21 ग्राम की कमी आ गई थी. सबसे बड़ी बात की ऐसी कमी सभी मुर्दों में देखी गई, लेकिन सब में वजन का अनुपात एक जैसा नहीं था. हालांकि, आखिर में डॉक्टरों ने निष्कर्ष निकाला कि आत्मा का वजन लगभग 21 ग्राम होता है.
कुत्तों पर भी हुआ प्रयोग
डॉ. डंकन ने भविष्य में इस रिसर्च को फिर से करने की कोशिश की और इस बार उन्होंने 15 कुत्तों को अपने एक्सपेरिमेंट में शामिल किया. इस रिसर्च में मौत के पहले और मौत के बाद कुत्तों का वजन एक जैसा था, उनमें कोई बदलाव नहीं देखा गया. जिसके बाद उनकी थ्योरी पर कई सवाल उठे. हालांकि, उन्होंने इन सवालों का जवाब देते हुए कहा कि इंसान के शरीर में आत्मा होती है इसलिए उसका वजन होता है.
जबकि कुत्तों के शरीर में आत्मा नहीं होती, इसलिए उनके वजन में कोई बदलाव नहीं आया. लेकिन सनातन धर्म और दुनियाभर के तमाम वैज्ञानिक यह मानते हैं कि हर जीवित जीव में आत्मा होती है जो एक एनर्जी फॉर्म में होती है और उसी के माध्यम से किसी भी जीव जंतु या मनुष्य का शरीर चल रहा होता है.
डंकन के रिसर्च पर उठे थे कई सवाल
1909 में जब डॉक्टर डंकन ने आत्मा के वजन को लेकर रिसर्च किया था तो उनके साथ इस रिसर्च में कई और डॉक्टर भी शामिल थे. जब उन्होंने अपने रिसर्च को लेकर बात की और कहा कि हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि आत्मा का वजन 21 ग्राम होता है तो उनके इस बात से उनके ही साथ के कई डॉक्टरों ने इस पर हामी भरने से मना कर दिया था. वहीं दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने भी इसे सिर्फ एक पब्लिसिटी स्टंट बताया था.
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