क्यों सैकड़ों साल तक पुरानी इमारतें टिकी रह जाती है? यहां जानिए इसके पीछे का कारण
Old Building Secret: आपने देखा होगा कि दशकों साल पुरानी इमारतें जस की तस बनी हुई है. वह गिरती नहीं है, भले ही आस-पास भूकंप आ जाए. क्या कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है?
Old Building Secret: आपने अपने आस-पास देखा होगा कि कई ऐसी इमारतें हैं जो काफी टाइम से वैसी की वैसी ही है. उसमें कोई बदलाव नहीं आया, भले ही भूकंप आ जाए. क्या वजह है कि पुरानी इमारतें आज भी खड़ी है? यह सही है कि कई हजार साल पुरानी इमारतें आज भी मजबूती से खड़ी हुई हैं और इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं. इन इमारतों का निर्माण विशेष प्रकार के रसायनिक मिश्रणों का उपयोग करके किया गया था, जो कि उन्हें मजबूत बनाते थे. जैसे कि रोमन साम्राज्य में जले हुए चूना पत्थर और ज्वालामुखी की राख का मिश्रण इमारतों के निर्माण में इस्तेमाल होता था, जिससे उनकी मजबूती बढ़ जाती थी. इस प्रकार के रसायनिक प्रतिक्रियाओं से बने उपयोगी सामग्री का अध्ययन वैज्ञानिकों को इन पुरानी इमारतों के सदियों तक कई साल तक खड़ी रहने का सबब समझने में मदद करता है.
इतिहास से है कनेक्शन
माया सभ्यता के मंदिर और इमारतें भी अपने विशेष निर्माण तकनीकों के लिए प्रसिद्ध हैं और इन्हें अध्ययन करने से हमें इन सदियों तक सुरक्षित रहने का तरीका समझने में मदद मिलती है. इन इमारतों के निर्माण में भी विशेष रसायनिक प्रतिक्रियाएं और सामग्री का इस्तेमाल होता था, जो उन्हें मजबूत बनाती थीं. इसके अलावा, इन पुरानी इमारतों का अच्छी तरह से देखभाल किया जाता है और उन्हें सालों तक सुरक्षित रखने के लिए विशेष देखभाल की जाती है, जिससे उनकी दीवारें और संरचनाएँ खड़ी रहती हैं. इसके आलावा, यह भी संभावना है कि वे किसी ऐसे भौतिक परिवर्तन क्षेत्र में स्थित हों, जो इन इमारतों को अधिक सुरक्षित बनाता है, जैसे कि बहुत कम बर्फबारी, भूकंप, या अन्य प्राकृतिक आपदाएं.
खास तरीके से बनाई जाती थी इमारतें
माया सभ्यता की इमारतों का रहस्य उनके निर्माण में उपयोग किए जाने वाले पदार्थों में है. वैज्ञानिकों ने खोजा है कि इन इमारतों के निर्माण में स्थानीय पौधों और पेड़ों के अद्वितीय पदार्थों का महत्वपूर्ण योगदान था. इन पेड़ों की छाल और उनके रस को इन इमारतों के निर्माण में प्रयोग किया जाता था, और इसका परिणाम एक विशेष प्रकार के प्लास्टर का निर्माण होता था जो रसायनिक और भौतिक रूप से मजबूत होता था और इमारत को बनाए रखने में मदद करता था.
प्राचीन भारत की इमारतें भी अपने विशिष्ट निर्माण तकनीकों के कारण सुर्खियों में रहती हैं. यहां के बड़े भूभाग में विविध भौगोलिक स्थितियां हैं और यहां पर स्थानीय पदार्थों का उपयोग इमारतों के निर्माण में किया गया है. स्थानीय जड़ी बूटियों का उपयोग किया जाता था और विभिन्न स्थलों पर प्लास्टर में गुड़ का मिश्रण बनाया जाता था, जिससे इमारतों को भौतिक और रासायनिक रूप से मजबूती प्राप्त होती थी. इसके अलावा, भूकंप के खतरे वाले क्षेत्रों में, इमारतों की ईंटों में धान के भूसे को मिलाकर उन्हें हल्का और मजबूत बनाया जाता था, जिससे भूकंप से आने वाले नुकसान को कम किया जा सकता था.
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