Sleeping Disorder: क्या है ये बीमारी! एक बार लग गई तो रात में भरपूर सोने के बाद भी दिन में सोते रहोगे
Hypersomnia Disease: ब्रेन की बीमारियां गंभीर नेचर की होती हैं, इनका समय पर इलाज जरूरी है. हाइपरसोमनिया भी ऐसी ही बीमारी है, जिसमें व्यक्ति को हर वक्त नींद आती रहती है.
Sound Sleep: हेल्दी नींद लेना स्वस्थ व्यक्ति की निशानी है. यदि अनियमित रूप से सो रहे हैं तो यह आपके स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है. इस स्थिति में लंबे समय तक रहने पर धीरे धीरे लाइफ स्टाइल से जुड़ी अन्य बीमारियां आपको घेर लेंगी. लेकिन क्या आप जानते हैं नींद से जुड़ी ऐसी ही एक बीमारी के बारे में. डॉक्टरों का कहना है कि यदि एक बार यह बीमारी किसी को हो गई तो यह रात को पूरी नींद लेने के बाद दिन में भी सोता रहेगा. कई ऐसे लक्षण उभरकर सामने आएंगे. जिनसे पेशेंट की पर्सनल लाइफ भी डिस्टर्ब होनी शुरू हो जाती है.
हाइपरसोमनिया में नहीं होती नींद पूरी
डॉक्टरों का कहना है कि हाइपरसोमनिया ऐसी ही बीमारी है, जिसमें व्यक्ति रात को पूरी नींद लेने के बाद दिन में जाग नहीं पाता है. इससे डेली लाइफ के कामों को कंप्लीट करना ही एक चुनौती बन जाता है. व्यक्ति दिनभर परेशान रहता है. जब मौका मिलता है, तभी सोना शुरू कर देता है. अमूमन व्यक्ति रात को अच्छी नींद लेने के बाद दिन में फ्रेश उठता है, लेकिन इस बीमारी में व्यक्ति रात को सही ढंग से सोने के बावजूद दिन में थका रहता है.
क्यों हो जाती है बीमारी
आमतौर पर नींद की बीमारी सही ढंग से न सो पाने के कारण होती हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि हाइपरसोमनिया के साथ ऐसा नहीं है. यह किसी विशेष दवा के असर, जेनेटिकली, नार्काेलेप्सी के अलावा बुजुर्गाें में फेफड़ों की बीमारी और न्यूरोलॉजिकल डिसआर्डर या ब्रेन में कोई समस्या के कारण हो सकती है. ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम डिसफंक्शन, ड्रग या अल्कोहल का एडिक्शन, कुछ मामलों में ब्रेन में ट्यूमर, सिर का आघात, या केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की चोट भी वजह हो सकती है.
क्या हैं लक्षण
हाइपरसोमनिया के मरीजों मेें कई लक्षण भी देखने को मिलते हैं. इनमें भूख कम लगना, नींद अधि आना, सिर में दर्द होना, चिड़चिड़ापन होना, डिप्रेशन, दिल में बैचेनी और घबराहट होना, मैमोरी कमजोर होना शामिल हैं. यदि इस तरह के लक्षण किसी भी व्यक्ति में दिख रहे हैं तो इसका तुरंत इलाज जरूरी है. डॉक्टरों का कहना है कि यह बीमारी उतना खतरनाक नहीं है. समय से इलाज लेने पर ठीक हो जाती है. यात्रा करने में परहेज करना चाहिए. पेशेंट को लाइफ स्टाइल में बदलाव लाने की जरूरत है.
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