पुणे कलेक्टर कार्यालय में तैनात महाराष्ट्र कैडर की प्रोबेशनरी आईएएस अफसर पूजा खेडकर की ट्रेनिंग रद्द कर उन्हें पहले ही वापस बुलाया जा चुका है. ऐसे में अब खेड़कर के खिलाफ यूपीएससी की ओर से भी एफआईआर दर्ज कराई जा चुकी है. साथ ही पूजा खेडकर को नोटिस भेजकर पूछा गया है कि उनकी उम्मीदवारी क्यों रद्द नहीं की जानी चाहिए. ऐसे में चलिए जानते हैं कि किसी भी अफसर की अफसरी कब खत्म हो जाती है या किसी आईएएस अफसर को कब नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाता है.
पूजा खेडकर ने क्या की धोखाधड़ी?
पूजा खेडकर पिछले कुछ समय से गलत तरीके से यूपीएससी की परीक्षा देने को लेकर खासी चर्चाओं में हैं. यूपीएससी की ओर से भेजे नोटिस में कहा गया है कि पूजा खेडकर ने सिविल सेवा परीक्षा के लिए दिए गए सभी अवसरों की परीक्षा देने के बाद अपना नाम, पिता का नाम, माता का नाम, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी, पता, साइन और यहां तक कि फोटो में बदलाव कर फिर से परीक्षा दी है. इसलिए यूपीएससी के नोटिस में पूजा खेडकर को भविष्य में होने वाले एग्जाम से डिबार (वंचित) करने की बात कही गई है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर किसी भी आईएएस अफसर को कब अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है.
सिर्फ राष्ट्रपति कर सकते हैं बर्खास्त
कई लोगों के मन में ये सवाल है कि किसी भी आईएएस अफसर को बर्खास्त करना इतना आसान क्यों नहीं होता? तो बता दें कि किसी भी आईएएस अफसर के साथ ही केंद्रीय अफसरों की नियुक्ति भी राष्ट्रपति के द्वारा ही की जाती है. इनकी नियुक्ति को सरकार गजट में अधिसूचित करती है. ऐसे में इन अफसरों को गजेटेड अफसर कहा जाता है. इनमें आईएएस, आईपीएस और आईएफएस जैसी सेवाओं के अधिकारी शामिल होते हैं. ऐसे में इन अफसरों को राष्ट्रपति के अलावा और कोई भी बर्खास्त नहीं कर सकता है.
संविधान में कहां हैं आईएएस सेवा को लेकर नियम?
बता दें कि किसी भी आईएएस अधिकारी की सेवा के नियम और उन्हें बर्खास्त करने के बारे में संविधान के अनुच्छेद 311 में वर्णन है. इसमें कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो संघ की सिविल सेवा या अखिल भारतीय सेवा या राज्य की सिविल सेवा का सदस्य होता है, उसकी नियुक्ति करने वाली अथॉरिटी के अलावा कोई और किसी भी आईएएस अधिकारी को उसके पद से हटा नहीं सकता. साफ शब्दों में कहें तो कोई संघीय सेवा का अफसर है तो उसे केंद्र सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति और कोई राज्य की सिविल सेवा का अफसर है तो उसे राज्य सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल नौकरी से निकालते हैं.
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