Ideas of India 2023: भारतीय रेलवे तेजी से अपना आधुनिकीकरण कर रहा है. जिसमें रेलवे की ओर से सेमी हाईस्पीड ट्रेनें चलाई जा रही हैं. वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन भी इसी आधुनिकीकरण का एक प्रमाण है. यात्रा को आरामदायक बनाने के लिए भी रेलवे नई-नई टेक्नोलॉजी अपना रहा है. वंदे भारत एक्सप्रेस में एक ऐसी ही तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. जो यात्रियों को एक शानदार अनुभव देती है. 


ABP न्यूज की ओर से आयोजित Ideas Of India 2023 कार्यक्रम में पहुंचे रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने इस बारे में बताया. उन्होंने बताया कि वंदे भारत में एयर स्प्रिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है. जो इसकी यात्रा को बाकी ट्रेनों से बेहतर बनाती है. ऐसे में आइए जानते हैं ये टेक्नोलॉजी क्या है और इसके लगने बाद कैसे वंदे भारत एक्सप्रेस की यात्रा बाकी ट्रेनों से बेहतर होती है.


ट्रेन के चलने पर आती है आवाज


ट्रेन के एक कोच में 2 बोगियां होती हैं. इन्ही बोगियों के ऊपर पूरा कोच स्प्रिंग्स के सहारे टिका रहता है. जब ट्रेन पटरी पर चलती है तो हल्के फुल्के झटके लगते रहते हैं, जिन्हे बहुत हद तक ये स्प्रिंग कम कर देती हैं. लेकिन, तब भी चलती है ट्रेन में झटकों का एहसास होता रहता है. इसके अलावा, आपने गौर किया होगा कि जब भी ट्रेन चलती है तो खटर पटर की आवाज आती रहती है. वो भी इन्ही स्प्रिंग्स के कारण होता है. 


असल में होता क्या है कि पूरे कोच का भार इन स्प्रिंग्स पर होता है और ये स्प्रिंग बोगी से जुड़े होते हैं. चूंकि पटरियां एकदम स्थिर नहीं होती हैं, जब इनपर से ट्रेन गुजरती है तो ये हल्की सी ऊपर नीचे होती रहती हैं. ऐसे में इससे होने वाली आवाज ट्रेन में बैठे यात्रियों तक भी आती रहती है. लेकिन, वंदे भारत में ऐसा नहीं है. 


वंदे भारत में इसलिए नहीं आती ये आवाज?


वंदे भारत में बैठे यात्रियों को इस तरह की आवाज सुनाई नहीं देती है और उसका कारण है इस ट्रेन में इस्तेमाल हुई 'एयर स्प्रिंग्स'. वंदे भारत में पुरानी परंपरागत स्प्रिंग्स के स्थान पर एयर स्प्रिंग का इस्तेमाल किया गया है. एयर स्प्रिंग्स में हवा भरी होती है जो स्प्रिंग का काम करती है. इस एयर स्प्रिंग का कनेक्शन एक चेंबर से होता है, जो इसमें हवा के प्रेशर को संतुलित रखता है. यह एयर स्प्रिंग ट्रेन के चलने पर लगने वाले झटकों को बिल्कुल नगण्य कर देती है और अंदर बैठे यात्रियों को बाहर की कोई आवाज नहीं आती है. 


ब्रेक सिस्टम को करती है एडजस्ट


इसके अलावा, एयर स्प्रिंग ट्रेन के ब्रेक सिस्टम को भी खुद ही एडजस्ट कर देती है. असल में होता क्या है कि ट्रेन के पहियों और ब्रेक के बीच एक निश्चित जगह छोड़ी जाती है, लेकिन जब ट्रेन में ज्यादा लोग सवार होते हैं तो वजन बढ़ने से ब्रेक थोड़ा नीचे आ जाते हैं. ऐसे में पहिए और ब्रेक के बीच गैप ज्यादा बढ़ जाता है. लेकिन, जैसे ही ट्रेन का डिब्बा वापस से खाली होता है तो ये फिर से ऊपर पहुंच जाते हैं और गैप कम हो जाता है. कभी-कभी यह गैप इतना कम हो जाता है कि ट्रेन के चलने पर जलने की बू आती है. परंपरागत स्प्रिंग्स के साथ यही समस्या रहती थी, जो एयर स्प्रिंग के आने के बाद नहीं रहती है. एयर स्प्रिंग पहिए और ब्रेक के बीच गैप को खुद ही एडजस्ट कर देती है.


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