देश में आज महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में दमखम से काम कर रही हैं. उनके कंधों पर देश की बड़ी जिम्मेदारियां हैं. एबीपी नेटवर्क की तरफ से दो दिवसीय आयोजित आइडिया ऑफ इंडिया का आगाज आज यानी 23 फरवरी के दिन हो गया है. इस कार्यक्रम में महिलाओं की साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स की फील्ड में भागीदारी को लेकर बात करने तीन प्रमुख हस्तियां शामिल हुई हैं. जिसमें ISRO, ISTRAC की डिप्टी डायरेक्टर नंदनी हरीनाथ, इसरो के आदित्य एल-1 मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. निगार शाजी और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स की डायरेक्टर प्रोफेसर (डॉ.) अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम शामिल हुई हैं.
देश के विकास में महिलाओं की अहम भूमिका
कार्यक्रम में मौजूद इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स की डायरेक्टर डॉ. अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम ने अपने जर्नी शेयर करते हुए बताया कि उनके माता-पिता संगीतकार थे. उन्होंने कहा कि वो कर्नाटक संगीत के अच्छे जानकार थे और हर दिन मेरी सुबह संगीत के प्रैक्टिस के साथ होती थी. हालांकि डॉ. अन्नपूर्णी ने कहा कि उनके माता-पिता किसी चीज के लिए रोकते नहीं थे, लेकिन घर का माहौल संगीत का था. लेकिन जब उन्हें साइंस और एस्ट्रोफिजिक्स में मेरी दिलचस्पी के बारे में पता चला तो उन्होंने मुझे सपोर्ट किया. मास्टर्स तक पढ़ाई करने के बाद मैंने बाहर जाने की तैयारी शुरू की थी.
वहीं ISRO, ISTRAC की डिप्टी डायरेक्टर नंदनी हरीनाथ ने बताया कि उनका परिवार काफी शिक्षित परिवार है. उन्होंने कहा कि मेरी मां मैथमेटिशियन और पिता ब्यूरोक्रेट्स थे. उन्होंने कहा कि इस वजह से उन्हें पढ़ाई के लिए बाहर जाने या अपना करियर बनाने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं वो 8 साल की थी, तब वो साइकिल से स्कूल जाती थी और 18 साल होने पर उन्होंने अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनवा लिया था. उन्होंने बताया कि हमारे परिवार में काफी खुला और आजाद माहौल था. मेरे पिता हमेशा राजनीति, विज्ञान समेत अलग-अलग विषयों पर हमें बताया करते थे. इसलिए मैं कह सकती हूं कि मेरे माता-पिता की वजह से मैं यहां तक आई हूं.
इसरो के आदित्य एल-1 मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. निगार शाजी ने बताया कि मुझे शुरू से स्कूल के समय से ही कुछ अलग करना था, जो कोई नहीं किया. उन्होंने कहा मेरी पिता ग्रेजुएट थे और वो किसानी से जुड़े हुए थे. वो चाहते थे कि हम लोग आर्थिक रूप से सशक्त रहे. उन्होंने कहा कि जब मैं क्लास 12 पास की, उस वक्त बहुत इंजीनियरिंग में बहुत कम लड़कियां करती थी. मैं मैकेनिकल इंजीनियरिंग करना चाहती थी, लेकिन महिला होने के कारण मुझे वहां सीट नहीं मिल पाई थी. इसके बाद मैंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की थी.
डॉ. निगार शाजी ने इसरो को लेकर कहा कि भारतीय स्पेस एजेंसी में किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं होता है. यहां महिलाओं और पुरुषों के बीच कोई भेदभाव नहीं है. अगर आप अपनी क्षमता दिखाते हैं कि आप किसी काम को कर सकते हैं, तो आपको वो काम करने दिया जाता है. इस तरह मुझे आदित्य मिशन पर काम करने का मौका मिला था.
क्यों शुरू हुआ आदित्य मिशन ?
डॉ. निगार शाजी ने बताया कि भारत को दुनिया की अन्य स्पेस एजेंसियों के बराबर खड़ा करने के लिए आदित्य मिशन लॉन्च किया गया. उन्होंने कहा कि भारत ने हाल ही में चंद्रमा पर लैंडिंग की है. इस तरह के मिशन से दुनिया में भारत का मान बढ़ता है और हर कोई उसकी बढ़ती स्पेस ताकत को देखता है. आर्थिक रूप से मजबूत होने के अलावा टेक्नोलॉजी सेक्टर में भी मजबूत होना जरूरी है, ताकि हमारा मान और भी ज्यादा बढ़ें. डॉ. निगार शाजी ने आगे कहा कि हम लोग सूर्य पर पूरी तरह से निर्भर हैं. इसलिए हमें इसकी स्टडी करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इसरो इसी के लिए काम कर रहा है. उन्होंने बताया कि इसरो के पास 50 स्पेसक्राफ्ट हैं, जो अंतरिक्ष में मौजूद हैं. इसलिए स्पेस के मौसम का समझना भी जरूरी है, ताकि स्पेसक्राफ्ट्स को बचाया जा सके. उन्होंने कहा कि आदित्य मिशन के जरिए स्पेस के बदलते मौसम पर भी नजर रखी जा सकती है.