डायनासोर के बारे में कहा जाता है कि वह धरती पर सबसे पहले लगभग 230 मिलियन साल पहले उत्पन्न हुए थे. इसके बाद लाखों वर्षों तक इस धरती पर इन्हीं विशाल जीवों का राज था. लेकिन 66 मिलियन साल पहले एक दिन अचानक से धरती पर लगभग 10 किलोमीटर चौड़ा एस्टेरॉयड गिरा और इन विशाल जीवों का अंत हो गया.
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह एस्टेरॉयड आज के मैक्सिको के युकाटन प्रायद्वीप में गिरा था. जिस जगह पर ये उल्कापिंड गिरा था, वहां बहुत बड़ी खाई बन गई है. दुनिया इस खाई को चिक्सुलब क्रेटर के नाम से जानती है. अब आते हैं अपने असली सवाल पर कि अगर भविष्य में कभी पृथ्वी पर उसी जगह उतना ही बड़ा कोई उल्कापिंड गिरा तो क्या डायनासोर की तरह इंसान भी समाप्त हो जाएंगे? चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.
क्या सभी डायनासोर मर गए थे
पहली बात तो जब 66 मिलियन साल पहले की तरह एस्टेरॉयड धरती से टकराया था तो एक दम से डायनासोर का अंत नहीं हो गया था. एस्टेरॉयड के टकराने के बाद तुंरत सिर्फ उन डायनासोर की मृत्यु हुई, जो हादसे वाली जगह या उससे उतनी दूर थे कि उसकी चपेट में आ गए. बाकी को जो बड़े डायनासोर मरे, उनकी वजह एस्टेरॉयड के टकराने के बाद धरती के वातावरण में हुए बदलाव थे. इसके बाद भी कई डायनासोर, जिन्होंने वातावरण के बदलाव के साथ खुद को बदल लिया वो बच गए. मगरमच्छ और बड़े पक्षी इसका जीता जागता उदाहरण हैं. समुद्र की गहराईयों में भी कई मछलियां ऐसी हैं, जो डायनासोर के युग की हैं और आज भी जीवित हैं.
अगर आज ऐसा हुआ तो क्या होगा
अगर आज के समय में 10 किलोमीटर चौड़ा कोई एस्टेरॉयड मैक्सिको के युकाटन प्रायद्वीप में गिरता है, जहां वह पहले गिरा था तो धरती पर उस तरह की तबाही देखने को नहीं मिलेगी, जैसा पहले मिली थी. इसके पीछे कई वजहें हैं. सबसे पहली वजह कि इंसान आज के समय में इतना आधुनिक हो गया है कि उसकी नजर धरती की ओर आने वाली हर चीज पर होती है. यानी अगर कोई इतना बड़ा उल्कापिंड धरती की ओर आएगा तो वैज्ञानिक उसे धरती से दूर करने के लिए कई तरह के उपाय अपना सकते हैं.
खैर, ये सभी उपाय तब कारगर हैं, जब इंसानों को पता हो कि कोई इतना बड़ा उल्कापिंड धरती की ओर आ रहा है और उसे धरती से टकराने में लगभग एक महीने, एक साल या एक हफ्ते का समय लगेगा. लेकिन अगर कोई उल्कापिंड अचानक से किसी गैलेक्सी से धरती को ओर आने लगे और उसकी रफ्तार इतनी तेज हो कि वह कुछ दिनों या कुछ घंटों में धरती से टकरा जाए तब क्या होगा.
अगर ऐसा हुआ, तो धरती पर विनाश होगा. इतनी तेज भूकंप आएगा कि बड़े-बड़े शहर खाक में बदल जाएंगे. समुद्र में इतनी ऊंची लहरे उठेंगी कि समुद्र के किनारे बसे सभी शहर साफ हो जाएंगे. ज्वालामुखी विस्फोटों से दुनिया दहल जाएगी और उससे निकलने वाली राख से पूरी धरती ढक जाएगी. आज से 66 मिलियन साल पहले भी ऐसा ही हुआ था. हो सकता है इससे करोड़ों इंसानों की मौत हो जाए. लेकिन फिर भी इंसान पूरी तरह खत्म नहीं होंगे.
इंसान कहां रहेंगे, क्या करेंगे
66 मिलियन साल पहले जब ऐसा हुआ तो बड़े डायनासोर इसलिए विलुप्त हो गए, क्योंकि उनके पास इससे बचने के लिए कोई उपाय नहीं था. लेकिन, इंसानों के साथ ऐसा नहीं है. दुनियाभर की सरकारों ने आज के समय में कई ऐसे बंकर बनाए हैं, जिन पर भूकंपों और सुनामी का असर नहीं होगा. लोग इन बंकरों में कई महीनों तक सुरक्षित रह सकते हैं.
इसके अलावा, इंसान बड़ी-बड़ी खदानों, अंडर ग्राउंड मेट्रो और उन तमाम जगहों पर इस विनाश से बचने के लिए छिप सकते हैं, जो धरती से एस्टेरॉयड के टकराने के बाद उत्पन्न होगा. हालांकि, ये बचाव कुछ महीनों या एक साल तक का हो सकता है. इसके बाद इंसानों को फिर से धरती के ऊपर आना होगा. ऐसे में उनके सामने ज्वालामुखी की राख और एसिडिक वर्षा बड़ी चुनौती होगी.
दरअसल, एस्टेरॉयड के टकराने के बाद जब ज्वलामुखियों में विस्फोट होगा तो उसकी राख धरती को ढक लेगी. इससे धरती पर सूरज की रौशनी नहीं पहुंच पाएगी और धरती की गर्मी से धरती पर जो बारिश होगी, उसमें तेजाब होगा. इससे ना सिर्फ फसल बर्बाद हो जाएगी, बल्कि मिट्टी कि उपज क्षमता भी खत्म हो जाएगी. इंसान इस दौर में मुश्किलों से जिंदा रहेगा, लेकिन जिंदा रहेगा.
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