(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
अगर कहीं मिल जाता है बम तो उसका क्या करती है फोर्स? उसे कहां रखा जाता है?
लोकसभा चुनाव के रिजल्ट से पहले आए दिन किसी न किसी जगह बम रखे होने की अफवाह उड़ रही है, ऐसे में चलिए जानते हैं कि यदि असल में बम मिल जाता है तो फोर्स उसका क्या करती है.
लोकसभा चुनाव की शुरुआत से ही है बम की अफवाह भी खूब उड़ रही हैं. हर बार किसी भी जगह बम होने की सूचना दी मिल जाती है, फिर बाद में वो कॉल फर्जी साबित होता है. मंगलवार को इंडिगो फ्लाइट में भी बम की ऐसी ही सूचना मिली, जो जांच के बाद फर्जी निकली. हालांकि इस बीच सवाल उठते हैं कि यदि असल में बम मिल जाए तो उसका होता क्या है? उसे डिफ्यूज कैसे किया जाता है और डिफ्यूज करके उसे महफूज रखा कहां जाता है? चलिए आज इन सारे सवालों के जवाब जान लेते हैं.
बम कैसे ढूंढे जाते हैं?
यदि कहीं से भी बम होने की जानकारी सामने आती है तो सबसे पहले पता लगाया जाता है कि उस जगह पर किसी डिब्बे या कंटेनर में बम है भी या नहीं. इस प्रक्रिया को एक्सप्लोसिव डिटेक्शन यानी विस्फोटक की जांच कहा जाता है. इसे करने के कई तरीके होते हैं जिनमें कोलोमेट्रिक टेस्ट किट, कुत्तों की मदद से, एक्स-रे मशीन से, प्रशिक्षित मधुमक्खियों से और अलग-अलग डिटेक्शन मशीनों से जांच के तरीके शामिल हैं. इनकी मदद से बम को डिफ्यूज कर दिया जाता है.
बम डिफ्यूज करने के बाद क्या होता है?
अब सवाल ये उठता है कि जब बम को डिफ्यूज कर दिया जाता है तो उसके बाद उसका क्या होता है? तो बता दें कि हर पुलिस स्टेशन में मालखाना होता है. इसी मालखाने में जांच के दौरान पकड़ी गई अलग-अलग तरह की चीजें रखी जाती हैं. जिनमें रुपए-पैसे, सोना-चांदी, हथियार, बम-बारूद, गाड़ियां, साइकिल-मोटरसाइकिल जैसी चीजें शामिल होती हैं. ऐसे में जब तक केस का फैसला नहीं हो जाता, इस तरह की चीजें केस प्रॉपर्टी होती हैं. अधिकतम मामलों में बम डिस्पोज़ल स्क्वॉड बम को डिफ्यूज करके रखती है. हालांकि हर बम के साथ ऐसा नहीं होता, जो बम रखने लायक होता है उसे रखा जाता है, नहीं रखने लायक बमों को डिफ्यूज कर दिया जाता है. जिन बमों को पुलिस अपने पास रखती है उनमें ये बात ध्यान रखी जाती है कि उससे किसी को कोई खतरा न हो. हालांकि ये कार्रवाई अदालत या अदालत के नुमाइंदे के द्वारा की जाती है. बाकी बमों पर भी निर्भर करता है कि उनके साथ अंजाम क्या होना है.
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